कहलगांव : कहलगांव रेलवे स्टेशन पर यदि रात में आपको रुकना पड़े, तो सारी रात जग कर ही काटनी होगी. यात्री प्रतीक्षालय व विश्रामालय बंद मिलेंगे. खुला यात्री प्रतीक्षालय में घुप्प अंधेरा छाया मिलेगा और दुर्गंध के कारण बैठना भी मुश्किल हो जायेगा. सारी रात मच्छर से बचने के लिए इधर-उधर घूम कर समय विताना होगा.
प्लेटफॉर्म का शौचालय भी बंद मिलेगा. स्टेशन से बाहर परिसर स्थित एक मात्र शौचालय सह स्नान घर तो पिछले कई माह से वैसे भी बंद है. रात में स्टेशन पर उतरने वाले यात्री जिनके घर शहर से दूर गांव में होते हैं, उन्हें स्टेशन पर ठहरने की विवशता होती है.
शहर से सटे जानमुहम्मदपुर गांव के निवासी रणवीर सिंह को अपनी पत्नी के साथ सोमवार की रात ब्रह्मपुत्र मेल से फरक्का जाना था. वह एक घंटा पहले करीब 12 बजे रात में स्टेशन पहुंचे. द्वितीय श्रेणी के खुले विश्रामालय घुप्प अंधेरा था और दुर्गंध के कारण वहां बैठना भी मुश्किल हो रहा था. उन्हें प्लेटफॉर्म पर ही मच्छरों के बीच करीब दो घंटे काटने पड़े. शहर के डॉक्टर एनके जायसवाल ब्रह्मपुत्र मेल से उतरने वाली अपनी पुत्री को रीसीव करने रात के 12 बजे स्टेशन पहुंचे थे.
यात्री विश्रामालय बंद थे. उन्हें उप स्टेशन प्रबंधक के कार्यालय में ट्रेन आने तक बैठना पड़ा. राजगीर- हावड़ा फास्ट पैसेंजर ट्रेन से रात के 1:34 बजे बाराहट शंकरपुर निवासी विनय सिंह राजगीर से अपने घर लौट रहे थे. कहलगांव स्टेशन उतरे. यहां से शंकरपुर लगभग 20 किमी दूर है. सो उन्हें स्टेशन पर रुकने की मजबूरी थी. लेकिन, यहां विश्रामालय बंद था.
यात्री शेड में मच्छरों के बीच बैठना मुश्किल हो रहा था. इसलिए उन्हें पूरी रात स्टेशन के बाहर चाय की दूकान पर बितानी पड़ी. हावड़ा राजगीर फास्ट पैसेंजर ट्रेन से उतरे कासिल गांव निवासी नीरज और उनके माता-पिता को कष्ट सह कर रात काटनी पड़ी.