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जेनरिक की जगह लिखते हैं ब्रांडेड दवा

जेनरिक की जगह लिखते हैं ब्रांडेड दवा – सरकार के दिशा- निर्देश की उड़ाई जा रही है धज्जियां- 90 प्रतिशत डॉक्टर जेनिरक की जगह ब्रांडेड दवा ही लिखते हैं- जेनरिक की तुलना में ब्रांडेड कंपनियों की दवा कई गुणा महंगी – हर जगह नहीं मिलने के कारण भी डॉक्टर नहीं लिखते जेनेरिक दवा – जेनेरिक […]

जेनरिक की जगह लिखते हैं ब्रांडेड दवा – सरकार के दिशा- निर्देश की उड़ाई जा रही है धज्जियां- 90 प्रतिशत डॉक्टर जेनिरक की जगह ब्रांडेड दवा ही लिखते हैं- जेनरिक की तुलना में ब्रांडेड कंपनियों की दवा कई गुणा महंगी – हर जगह नहीं मिलने के कारण भी डॉक्टर नहीं लिखते जेनेरिक दवा – जेनेरिक दुकानों में भी अधिकांश दवा ब्रांडेड कंपनियों के ही रहते हैं संवाददाता भागलपुर :जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के अलावा रोजाना आउटडोर में इलाज के लिए औसतन 1500 से 1800 मरीज पहुंचते हैं. सोमवार को प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के परची में लिखी दवा को देखा, तो पाया कि परची पर डॉक्टर की लिखी दवा में करीब 90 प्रतिशत दवा जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड कंपनियों की थी. हड्डी दर्द का इलाज कराने आये कुरसेला के मोहन मंडल ने बताया कि डॉक्टर ने तीन दवा लिखी है, जिसमें से एक दवा मिली. अब दो दवा बाहर की दुकान से खरीदनी पड़ेगी. परची पर लिखी दवा जो बाहर से खरीदी जानी थी, उसमें मोसक्वालिन आयल और ओरोसिल टेबलेट दोनों ब्रांडेड कंपनियों की थी. इसी प्रकार हर्निया का इलाज कराने पहुंचे कहलगांव के अनूप सिंह, सिर दर्द का इलाज कराने आये महेशी के मो शलाउद्दीन हुसैन, सिर व गरदन दर्द का इलाज के लिए पहुंची बरारी की अाशा देवी आदि की परची पर लिखी दवा में भी अधिकांश जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड कंपनियों की थी. जेनेरिक से ब्रांडेड की कीमत अधिक स्वास्थ्य विभाग के गाइड लाइन के तहत डॉक्टरों को ज्यादा-से-ज्यादा जेनेरिक दवा लिखनी है, लेकिन प्रैक्टिस में देखा जाता है कि अधिकांश डॉक्टर जेनेरिक की जगह ब्रांडेड कंपनियों की दवा ही लिखते हैं. यहां बता दें कि जेनेरिक दवा वह होती है, जो एकल साल्ट की बनी होती है. ऐसी दवा कोई भी कंपनी बना सकती है और उस कंपनी को पेटेंट की कोई रॉयल्टी नहीं चुकानी होती है, इसलिए जेनेरिक दवा सस्ती होती हैं. कहते हैं डॉक्टरडॉ डीपी सिंह व डॉ भरत भूषण का कहना है कि जेनेरिक दवा की दुकानें काफी कम हैं. इसके अलावा जो जेनरिक दुकानें हैं, उसमें भी दुकानदार जेनेरिक से अधिक ब्रांडेड कंपनियों की दवा रखते हैं. इसके अलावा अस्पताल के इंडोर में 43 और आउटडोर में 124 प्रकार की जो दवाएं उपलब्ध हैं, उसमें भी अधिकतर ब्रांडेड कंपनियों की ही दवाएं हैं. दूसरी ओर, जेनेरिक दवा का प्रचार-प्रसार भी नहीं हो पाता है. इसके अलावा एक कारण यह भी है कि सरकार इसे सख्ती से लागू नहीं कर पा रही है. ये कुछ कारण हैं, जो जेनेरिक की जगह डॉक्टर सामान्य दुकानों में मिलने वाले ब्रांडेड दवा को ही लिख देते हैं. कहते हैं जेनेरिक दवा दुकानदार जेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में एक जेनेरिक दवा की है. दुकानदार विनोद अग्रवाल का कहना है कि मायागंज में एक जेनेरिक दवा की दुकान और एमपी द्विवेद्वी रोड में कुछ जेनेरिक की दुकानें हैं. जेनेरिक दवा लेने बहुत कम मरीज आते हैं. अगर डॉक्टर ज्यादा-से-ज्यादा जेनेरिक दवाएं लिखें, तो हो सकता है कि बाजार की सामान्य दुकानों में भी ब्रांडेड दवा के साथ-साथ जेनेरिक दवा रखना प्रारंभ कर दे.

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