शाम-ए-महफिल में गूंजेगा नज्म, गीत गजलों का तराना-प्रभात खबर के तत्वावधान में तीन जनवरी को टाउनहॉल में मशहूर शायर मुनव्वर राणा और राहत इंदौरी की प्रस्तुतियों में डूबेगी शाम-ए-महफिल संवाददाता, भागलपुरगजल, गीत व नज्मों के बेताज बादशाह मुनव्वर राणा और अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों के बीच लोगों के दिलों तक सीधे पहुंचने वाले राहत इंदौरी की जुगलबंदी तीन की शाम को अपनी प्रस्तुति के जरिये मदहोश करने वाली है. जिंदगी के हर रंग को अपने शब्दों के जरिये लोगों के दिल पर हर्फ लिखने का काम तीन जनवरी काे हाेगा. कार्यक्रम टाउनहाॅल में होगा. प्रभात खबर के जरिये आयोजित होने वाले शाम-ए-महफिल में शामिल होने में अगर आप चूक गये तो यकीं मानिये नये साल के सबसे बड़े शायराना महफिल से रूबरू न हो पाने का मलाल आपको ताउम्र रहेगा. शेरो-गजल के राणा मुनव्वर काे अपने आगोश में रखने की ख्वाहिश तो महफिलें भी तरसती हैं तो इंदौरी साहब के नज्म तो महफिल को रूमानियत की ऐसी दुनियां में ले जाती है जहां ख्वाब, कल्पनाएं और ख्वाहिशें परवान चढ़ती महसूस होती है. ‘तुमको राहत की तबियत का अंदाजा नहीं, वो भिखारी है मगर मांगो तो दुनिया दे दे’-आज है नज्म, गीत व गजल के बादशाह राहत इंदौरी का जन्मदिनजिनका सान्निध्य व सामिप्य पाने के लिए महफिले तरसती है. जिनके पास सम्मान भी जाकर खुद को गौरवशाली समझता है. ऐसे रंगे महफिले के चक्रवर्ती सम्राट राहत इंदौरी का एक जनवरी को जन्मदिन है. इनके जन्मदिन के अवसर पर बरबस ये लाइनें याद आती हैं. ‘शहर में ढूंढ रहा हूं कि सहारा दे दे, कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे, तुमको राहत की तबियत का नहीं अंदाजा, वो भिखारी है मगर मांगो तो दुनिया दे दे’ . लाेगों को अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियाें के बूते कल्पनाओं एवं सच से भरपूर दुनिया से रूबरू कराने वाले राहत इंदौरी का जन्म एक जनवरी 1950 को हुआ था. इनके पिता रफतुल्लाह कुरैशी कपड़ा मिल में श्रमिक थे तो माता मकबूल उन निशां बेगम एक कुशल गृहिणी. ये अपने माता-पिता की चौथी संतान हैं. इन्होंने अपनी हायर सेकेंड्री तक की पढ़ाई नूतन स्कूल इंदौर से की तो 1973 में ग्रेजुएट की पढ़ाई इस्लामियां करीमीया कॉलेज इंदौर से की. 1975 में एमए उर्दू की पढ़ाई बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से की तो उर्दू में मुशायरा विषय पर रिसर्च पूरा करने पर राहत इंदौरी 1985 में डॉ राहत इंदौरी बन गये. इसके बाद इन्होंने इंदौर कॉलेज में उर्दू टीचर के रूप में नौकरी करने लगे. डॉ इंदौरी साहब ने अपनी पहली रचना 19 साल की उम्र में अपने कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को सुनायी थी. तब लोगों को शायद इस बात का यह एहसास नहीं होगा कि दुबला-पतला सख्श एक दिन नज्म, गीत व गजलों से पूरी कायनात को मंत्रमुग्ध करेगा. डॉ इंदौरी साहेब को सउदी अरब स्थित भारतीय दूतावास ने सम्मानित किया है तो इसके अलावा ये कराची पाकिस्तान में मो अली ताज पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. इन्हें मौलाना मोहम्मद अली अवार्ड, अदीब इंटरनेशनल अवार्ड, हक बनारसी अवार्ड, साहित्य सारश्वत अवार्ड, यूपी उर्दू-हिंदी साहित्य अवार्ड, राजीव गांधी लिटरेरी अवार्ड, अवार्ड इन एक्सीलेंसी अवार्ड इन उर्दू पोएट्री, सद्भावना अवार्ड, अफाक हैदर अवार्ड, डॉ जाकिर हुसैन अवार्ड, निशान-ए-एजाज अवार्ड, कैफी आजमी अवार्ड, उर्दू अवार्ड व मिर्जा गालिब अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका हैं. डॉ राहत इंदौरी ने कई नज्म,गीत व गजले लिखी हैं. इसके अलावा इन्होंने इनके लिखे गीत हिंदी फीचर फिल्म आशियां, सर, जानम, खुद्दार, मर्डर, मुन्ना भाई एमबीबीएस, मिशन कश्मीर, मिनाक्षी, करीब, इश्क में बॉलीवुड के गायकों ने अपनी-अपनी आवाज दी है.
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शाम-ए-महफिल में गूंजेगा नज्म, गीत गजलों का तराना
शाम-ए-महफिल में गूंजेगा नज्म, गीत गजलों का तराना-प्रभात खबर के तत्वावधान में तीन जनवरी को टाउनहॉल में मशहूर शायर मुनव्वर राणा और राहत इंदौरी की प्रस्तुतियों में डूबेगी शाम-ए-महफिल संवाददाता, भागलपुरगजल, गीत व नज्मों के बेताज बादशाह मुनव्वर राणा और अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों के बीच लोगों के दिलों तक सीधे पहुंचने वाले राहत इंदौरी की […]
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