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नहीं आये पकड़ में, पूरे साल पुलिस को छकाया

नहीं आये पकड़ में, पूरे साल पुलिस को छकाया कुख्यात जुगवा मंडल, कन्हैया यादव, रूदल और सत्तन को गिरफ्तार नहीं कर पायी पुलिस पुलिस हवा में चलाती रही तीर, कन्हैया ने किया सरेंडर अमित चौधरी भागलपुर 2015 विदा लेने को है. पिछले एक साल में भागलपुर पुलिस को निश्चित ही बड़ी और अच्छी सफलताएं मिली […]

नहीं आये पकड़ में, पूरे साल पुलिस को छकाया कुख्यात जुगवा मंडल, कन्हैया यादव, रूदल और सत्तन को गिरफ्तार नहीं कर पायी पुलिस पुलिस हवा में चलाती रही तीर, कन्हैया ने किया सरेंडर अमित चौधरी भागलपुर 2015 विदा लेने को है. पिछले एक साल में भागलपुर पुलिस को निश्चित ही बड़ी और अच्छी सफलताएं मिली हैं. कई बड़े आपराधिक मामलों का खुलासा हुआ और इन घटनाओं में शामिल कई अपराधियों को पुलिस ने पकड़ कर जेल भी भेजा. पर इसके साथ यह भी सच है कि कुछ कुख्यात अपराधी पूरे साल पुलिस की पहुंच से दूर रह सिर दर्द साबित हुए. कई ईनामी अपराधियों को पकड़ पाना अब पुलिस के लिए नये साल में भी संभव होता दिख रहा.जुगवा मंडल – 50 हजार का इनामी अपराधी जुगवा मंडल के खिलाफ विभिन्न थानों में कई केस दर्ज हैं जिनमें रंगदारी, फिरौती, हत्या और दूसरे मामले दर्ज हैं. हाल ही में उसके भाई तो पुलिस की गिरफ्त में आये पर वह बच निकलने में एक बार फिर सफल रहा. 2010 में वह अपने ननिहाल सबौर के लैलख में आकर बसा जुगवा उस क्षेत्र के लिए आतंक बन गया. हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती और महिलाओं से बदसलूकी उसका कारोबार हो गया. 2015 में पूरे साल उसके नाम की चर्चा तो हुई पर उस तक पुलिस नहीं पहुंच पायी. कन्हैया यादव : इसी साल 26 मई को घंटाघर चौक स्थित बिहार ग्रामीण बैंक की शाखा में 49 लाख से ज्यादा की लूट का मास्टर माइंड और 50 हजार का इनामी अपराधी कन्हैया यादव ने पुलिस की गिरफ्त से लगातार दूर रहते हुए 11 दिसंबर को कोर्ट में सरेंडर किया. पिछले 10 सालों में कन्हैया एक दर्जन से ज्यादा बैंक डकैतियों का मास्टर माइंड रहा है. बांका, राजमहल, गोड्डा, दुमका और भागलपुर में कई बैंकों को वह लूटता रहा पर पुलिस उस तक नहीं पहुंच पायी. ग्रामीण बैंक की डकैती को शहर का इस दशक की सबसे बड़ी डकैती कहा गया. कन्हैया से पुलिस ने जेल में भी पूछताछ की पर कुछ खास हासिल नहीं हो सका. रुदल मंडल : इसी साल अगस्त महीने में सबौर थाना क्षेत्र के प्रशस्तडीह गांव में किसान शंकर मंडल को गोली मारने वाला रुदल पिछले लगभग 10 साल से फरार है. उसने एक शिक्षक के बेटे सुनील मंडल को भी गोली मारी थी. रुदल के नाम का खौफ लोगों में इस कदर है कि उसके द्वारा लोगों के सामने घटना को अंजाम दिये जाने के बाद भी उसके खिलाफ कोई मुंह नहीं खोलता. पश्चिम बंगाल के मालदह मेंअपना अड्डा बनाने वाले रुदल तक पुलिस नहीं पहुंच पायी है. सत्तन यादव : 50 हजार का इनामी कुख्यात अपराधी सत्तन यादव के खिलाफ हत्या, लूट, रंगदारी और फिरौती के दो दर्जन मामले दर्ज हैं. वह पिछले 10 सालों से फरार है. वह कभी सामने नहीं आता. पुलिस की पहुंच से हमेशा दूर रहने वाले सत्तन का गिरोह पूरी तरह सक्रिय है. नाथनगर थाना क्षेत्र में शराब दुकानों में लूट और रंगदारी के कई मामलों में सत्तन गिरोह के अपराधियों का नाम सामने आया. कई को जेल भी भेजा गया पर गिरोह का मुखिया अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है. टेरा मंडल : सबौर थाना क्षेत्र के ममलखा के रहने वाले कुख्यात टेरा मंडल ने इसी साल नवंबर महीने में गांव के पंचायत सचिव के घर पर दिनदहाड़े फायरिंग की थी और एक को गाेली भी मार दी. उस इलाके में टेरा का दहशत इस कदर है कि सामने से उसे अपराध करते देखने के बाद भी कोई उसका नाम पुलिस के सामने लेने के लिए तैयार नहीं होता. दियारा क्षेत्र में अपना बसेरा बनाने वाले टेरा तक इस साल पुलिस नहीं पहुंच पायी. गाजा यादव : रंगदारी और खुलेआम लोगों पर फायरिंग के अलावा गाजा पुलिस के साथ भी मारपीट कर चुका है. पिछले दो महीनों में लोदीपुर क्षेत्र में हुई कई अापराधिक घटनाओं में वह शामिल रहा है. जमीन मालिकाें से रंगदारी मांगने और शराब दुकानों के लूट में इस साल गाजा का नाम कई बार सामने आया पर पूरे साल वह पुलिस की पहुंच से दूर रहा.

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