रंग महोत्सव : मोरे बाली उमरिया रे जटवा, टिकबा काहे न लैल्हें रे-भागलपुर रंग महोत्सव के नृत्य प्रतियोगिता में दिखी देश की रंग-बिरंगी संस्कृति फोटो : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुर भागलपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कला केंद्र में नृत्य प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों से आये सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र के लोक-नृत्य व क्षेत्रीय नृत्य जैसे बिहारी लोक नृत्य, बिहू लोक नृत्य, मणिपुरी समूह लोक नृत्य, संभलपुरी नृत्य, जट-जटिन, मर्दानी झूमर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को बहुरंगी संस्कृति से अवगत कराया. कटिहार डांस एकेडमी की ओर से शिव कुमार कामती के निर्देशन में कलाकारों ने जट-जटिन समूह लोक नृत्य पेश किया, जिसमें मोरे बाली उमरिया रे जटबा, टिकबा काहे न लैल्हें रे… गीत पर नृत्य में बिहार की संस्कृति को प्रस्तुत किया. इसे देख दर्शक तालियां बजाये बिना नहीं रह सके. इसके बाद स्वर, उड़ीसा की ओर से शाश्वती सौमया भोइ ने संबलपुरी नृत्य किया, तो दर्शक नृत्य देखने को मचल उठे. किलकारी, भागलपुर की ओर से कलाकारों ने जट-जटिन, झिझिया, संथाली आदि बिहारी लोक नृत्यों का कोलाज प्रस्तुत किया, तो दर्शकों ने तालियों की बारिश कर दी. संदेश, पटना की ओर से समूह शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया गया. प्रतियोगिता के दौरान अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं ने नृत्य की प्रस्तुति दी.
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रंग महोत्सव : मोरे बाली उमरिया रे जटवा, टिकबा काहे न लैल्हें रे
रंग महोत्सव : मोरे बाली उमरिया रे जटवा, टिकबा काहे न लैल्हें रे-भागलपुर रंग महोत्सव के नृत्य प्रतियोगिता में दिखी देश की रंग-बिरंगी संस्कृति फोटो : आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुर भागलपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कला केंद्र में नृत्य प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों से आये सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र के […]
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