संदर्भ : साहित्यकारों के पुरस्कार लौटाने कासहिष्णुता व असहिष्णुता का पैमाना कश्मीरी पंडितों व तालिबानियों से पूछियेडॉ मथुरा दूबेपुरस्कार किसी अनुपम कृति की संस्तुति को चिरस्थायी बनाने के लिये दिया गया प्रतिदान है. किसी कृति के अनुपम होने की परख व्यक्ति, संस्था या शासन के चारित्रिक मनोभाव पर निर्भर है. किसी भी कृति के लिए पुरस्कार की अनुशंसा के पीछे कई अनकही कथाएं छिपी होती हैं. कहा जाता है कि कुछेक को छोड़ कर पुरस्कार सदा-सर्वदा से पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था या शासन के चहेते को मिलता रहा है. राजकीय या स्वायत्त संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत कई साहित्यकारों को मैं नजदीक से जानता हूं जिन्हें शुद्ध पांच पंक्तियां लिखने में पसीने छूटने लगते हैं. यह तो कार्यालय और संस्थाओं के र्क्लकों की करामात है कि चंद पैसों के लिए तथाकथित बड़े लोगों की प्रतिष्ठा बचाने में जी-जान लगा देते हैं. आज की तिथि में ऐसी सैकड़ों संस्थाएं हैं जो पुरस्कार बेचती हैं. ऐसे पुरस्कारों की वापसी का अर्थ ही कई सवाल खड़ा करते हैं. असहिष्णुता और अभिव्यक्ति के खतरे के सवाल पर अगर लौटाना है तो एमए/पीएचडी की डिग्रियां और उनसे अर्जित लाभ लौटा कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाएं. सहिष्णुता का पैमाना कश्मीरी पंडितों से पूछे और असहिष्णुता की परिभाषा तालिबानियों से पूछिये. विश्व की इस अशांति में भी विश्व शांति पुरस्कार प्राप्त करनेवाले चुप क्यों बैठे हैं? आदमी के सिर को तलवार की धार से कलम करते हुए देख कर भी कोई शांति पुरस्कार लौटाने की बात नहीं करता. अपनी मां को मां कहने वाले और अपने राष्ट्र के लिये जीवनदान करनेवालों को सांप्रदायिक, स्वार्थी और संकीर्ण मानसिकता का कहना आज फैशन हो गया है. साहित्य का अर्थ नहीं जाननेवाले, स्व का हित चाहने वाले, परमार्थ को पाप-कर्म और पर-पीड़ा को सुखद समझने वाले साहित्यकारों को तथाकथित साहित्यकार कहने में कोई हिचक नहीं है. अत: भारत जैसे सहिष्णु और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्तुति करनेवाले देश में पुरस्कार लौटानेवाले साहित्यकारों की मानसिकता नकारने योग्य और निंदनीय है. कवि और विचारक………………………………….सूचना : पुरस्कार लौटाने के मामले को लेकर असहिष्णुता व सहिष्णुता पर बड़ी बहस छिड़ी. इस मामले को लेकर साहित्यकार, रंगकर्मी व विचारकों ने हमारे इस कॉलम में अपने विचार प्रकट किये, उन सभी का धन्यवाद. डॉ मथुरा दूबे के आलेख के साथ इस कॉलम की समापन कड़ी हम छाप रहे हैं.
संदर्भ : साहत्यिकारों के पुरस्कार लौटाने का
संदर्भ : साहित्यकारों के पुरस्कार लौटाने कासहिष्णुता व असहिष्णुता का पैमाना कश्मीरी पंडितों व तालिबानियों से पूछियेडॉ मथुरा दूबेपुरस्कार किसी अनुपम कृति की संस्तुति को चिरस्थायी बनाने के लिये दिया गया प्रतिदान है. किसी कृति के अनुपम होने की परख व्यक्ति, संस्था या शासन के चारित्रिक मनोभाव पर निर्भर है. किसी भी कृति के लिए […]
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