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वैज्ञानिक अनुसंधान से अपराधियों का बचना होगा मुश्किल

वैज्ञानिक अनुसंधान से अपराधियों का बचना होगा मुश्किल फोटो : मनोज सीटीएस में पूरे बिहार के अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षकों ने सीखा अनुसंधान के गुरसंवाददाता, भागलपुर अब सूबे के अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षक आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान की सहायता से अपराध का बेहतर ढंग से खुलासा कर सकेंगे. डीजी ट्रेनिंग के एकेडिम […]

वैज्ञानिक अनुसंधान से अपराधियों का बचना होगा मुश्किल फोटो : मनोज सीटीएस में पूरे बिहार के अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षकों ने सीखा अनुसंधान के गुरसंवाददाता, भागलपुर अब सूबे के अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षक आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान की सहायता से अपराध का बेहतर ढंग से खुलासा कर सकेंगे. डीजी ट्रेनिंग के एकेडिम कैलेंडर के तहत सीटीएस में अनुसंधान वैज्ञानिक सहायता विषय पर 19 से 24 नवंबर तक कार्यशाला चल रही है. सीटीएस के प्राचार्य अभय लाल ने बताया कि कार्यशाला में पूरे बिहार के जिलों से कुल 39 अवर निरीक्षक व सहायक अवर निरीक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी पटना के विशेषज्ञ वैज्ञानिक ट्रेनिंग दे रहे हैं. कार्यशाला प्रभारी रंजीत वत्स व अखिलेश कुमार ने बताया कि पटना से आरपी ओझा, विजय कुमार शर्मा, जयंत कुमार व डॉ शारदा नंद सिंह ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित किये गये हैं. कार्यशाला में अनुसंधान वैज्ञानिक बैलेस्टिक, विस्फोटक पदार्थ, सिरोलॉजी, डीएनए फिंगर प्रिटिंग, टेक्सोलॉजी ( विष विज्ञान), नारकोटिक्स, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिटिंग, फोटो ब्यूरो, जाली नोट व विवादित लेख्य आदि विषयों की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं. इसकी सहायता से अनुसंधानकर्ताओं को अब अपराधियों के गिरेबान तक पहुंचना आसान होगा. कार्यशाला में जाली नोट व साइबर क्राइम से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए स्टेट बैंक नाथनगर के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया. आग्नेयास्त्र से चले बुलेट व बारूद के अंश खोलेगा राज अनुसंधान विज्ञान कार्यशाला में सोमवार को विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने बताया कि बैलेस्टिक जांच से अब किसी भी व्यक्ति को गोली मारने वाले अपराधियों को पकड़ना आसान है. बताया कि जब कभी भी किसी आग्नेयास्त्र से किसी पर फायर किया जाता है, तो उसके बुलेट से निकला बारूद का अंश हाथ के स्कीन में प्रवेश कर जाता है. इसे धोने पर भी अपराधी बाहर नहीं निकाल सकते हैं. इस तरह गोली लगे व्यक्ति के शरीर के अंदर मौजूद बुलेट व फायर आर्म्स का भी आपस में संबंध होता है. इससे पता लगाया जा सकता है कि अमुख फायर आर्म्स से ही यह बुलेट चलायी गयी है. इससे हत्या करने वाले से बरामद हथियार या घटना स्थल पर छूटे खोखा या शरीर के अंदर से मिले बुलेट से अपराध की वास्तविकता का पता चल जाता है. बम विस्फोट की तह तक ले जाता है एक्सप्लोसिव जांच अनुसंधान विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने बताया कि आये दिन कहीं न कहीं बम विस्फोट की घटना होती रहती है. पुलिस एक्सप्लोसिव जांच की सहायता से अपराधियों के गिरेबान तक पहुंच सकती है. बताया कि सबसे पहले घटनास्थल वाले जगह पर पता लगाया जाता है कि विस्फोटक पदार्थ कितना शक्तिशाली था. इसमें कौन से एक्सप्लोसिव (विस्फोटक पदार्थ ) का प्रयोग किया गया था. धमाके में प्रयुक्त बम सधारण विस्फोटक पदार्थ था या घातक रसायिनक पदार्थ पोटेशियम नाइट्रेट या अमोनियम नाइट्रेट या आरडीएक्स या इससे भी अधिक शक्तिशाली विस्फोटक केमिकल पदार्थो से बना था. ऐसी कई जांच से पुलिस बम धमाके में शामिल गिरोह या संगठन के मांद तक पहुंचने में सफल हो सकती है. विशेषज्ञों ने एेसे कई आधुनिक तकनीकी जानकारी अनुसंधानकर्ता को दी. बतायेगा विष विज्ञान, कत्ल है या सुसाइड में प्रयुक्त पदार्थविशेषज्ञों ने बताया कि आज कई शातिर अपराधी लोगों को विष खिला कर मौत के घाट उतार देते हैं या कई लोग जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते है. विष विज्ञान की सहायता से अब केस के अनुसंधान कर्ता मौत के असली कारण का पता लगा सकते हैं. विष विज्ञान जांच बताता है कि जहरीला पदार्थ आर्गेनिक या इर्नोगेनिक रसायिनक पदार्थ या कोई अन्य पदार्थ है. इसके तहत ही रोगर, अल्कोहल, कीटनाशक, नींद की गोली आदि पदार्थ का पता चलता है. इसके लिए डाटा बेस तैयार किया जाता है. इस जांच के बारे में विशेषज्ञों ने कई अहम जानकारी भी दी. इसकी सहायता से होगा अपराध का खुलासा- डीएनए फिंगर प्रिटिंग टेस्ट-बैलेस्टिक-विस्फोटक पदार्थ-विष विज्ञान-जाली नोट-साइबर क्राइम-नारकोटिक्स अपराध अनुसंधान-सिरोलॉजी-फोटो ब्यूरो-फूथ प्रिटिंग-फिंगर प्रिटिंग

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