ईश्वर भक्ति बिना जीवित जीव भी मृत समानफोटो- विद्यासागर -रन्नुचक वीणापाणि पुस्तकालय प्रांगण में गीता व रामचरितमानस विवेचना-दुनिया सच को नहीं बदल सकती, सच बदल सकता है दुनिया संवादाता, भागलपुर मानव जीवन संसार में परमात्मा की सर्वोत्तम रचना है. इसमें ईश्वर का वास होता है. यह दुर्लभ व क्षणभंगुर भी है. मानव जीवन का उद्देश्य ईश्वर की भक्ति है. ईश्वर की भक्ति के बिना, जीवित व्यक्ति भी मृतक के समान है. ये बातें स्वामी विष्णु प्रकाशानंद व साध्वी समीक्षा भारती ने शुक्रवार को नाथनगर रन्नुचक गांव के वीणापाणि पुस्तकालय में आयोजित दिव्य ज्योति जागृित संस्थान के द्वारा पांच दिवसीय गीता एवं रामचरितमानस विवेचना कार्यकम के पहले दिन शुक्रवार को कही. उन्होंने कहा कि दुनिया सच को नहीं बदल सकती है, जबकि सच पूरे दुनिया को बदल सकता है. महापुरुष लगातार मानव को सत्कर्म करने के लिए समझा रहे हैं, लेकिन मानव दुष्कर्म को नहीं छोड़ रहा है. यदि मानव दुष्कर्म को नहीं छोड़ सकता है, तो महापुरुष भी अपना सत्कर्म नहीं छोड़ रहे हैं. इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मनोज कुमार सिंह, सुनील सिंह, पूनम सिंह आदि ने दीप जला कर किया. इसके बाद गुरु बहन साध्वी रंजना भारती ने गुरु वंदना से और स्वामी रघुनंदना जी ने गणपति वंदना से की. रघुनंदना जी ने कहा कि शिव पार्वती के विवाह के समय भी गणपति की वंदना हुई थी. गणपति वे नहीं है, जिसे आप मूषक की सवारी करने वाले देवता के रूप में सुनते व देखते आ रहे हैं. गणपति का अर्थ है जो समस्त ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं. कार्यक्रम में महामाया भारती, वंदना भारती ने भी अपने अनमोल प्रवचन से श्रोताओं के ज्ञान वर्द्धन किया. तबलावादक हेमकांत के सुरताल पर गायक कैलाश जी के भक्ति भजन सागर बंदे चल सोम समझ कर, क्यों जीवन गवांय पर श्रोताओं ने खूब डुबकी लगायी. यहां आयोजक द्वारा बने भव्य पंडाल में आस पास से बड़ी संख्या में महिला -पुरूष व बच्चे देर शाम तक भक्ति भाव से प्रवचन का आनंद उठा रहे थे. इस मौके पर कृष्णानंद राय, नरेंद्र राय, महेश राय, अजय कुमार राय, अनिल राय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
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ईश्वर भक्ति बिना जीवित जीव भी मृत समान
ईश्वर भक्ति बिना जीवित जीव भी मृत समानफोटो- विद्यासागर -रन्नुचक वीणापाणि पुस्तकालय प्रांगण में गीता व रामचरितमानस विवेचना-दुनिया सच को नहीं बदल सकती, सच बदल सकता है दुनिया संवादाता, भागलपुर मानव जीवन संसार में परमात्मा की सर्वोत्तम रचना है. इसमें ईश्वर का वास होता है. यह दुर्लभ व क्षणभंगुर भी है. मानव जीवन का उद्देश्य […]
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