त्योहार खत्म, अब होगी एडमिशन की तैयारी संवाददाता, भागलपुरदशहरा से शुरू हुआ त्योहारों का सिलसिला छठ पर आकर समाप्त हो गया है. अभिभावकाें के सामने अब बच्चों का अच्छे स्कूल में एडमिशन कराना नयी चुनौती होगी. एक तरफ जहां अपने बच्चों का मनपसंद शिक्षण संस्थान में दाखिला दिलाने के लिए उन्हें जूझना होगा, तो वहीं उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए हर साल की अपेक्षा ज्यादा जेब भी ढीली करनी पड़ेगी. दिसंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी प्रक्रियाशहर के तमाम नामी स्कूलाें में प्राइमरी से लेकर सीनियर कक्षाआें में एडमिशन की प्रक्रिया दिसंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जायेगी. हालांकि किन स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया किस तिथि से शुरू हो जायेगी, इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. अभी से बनवा लीजिये जन्म प्रमाणपत्रअभिभावकों को अपने बच्चों के एडमिशन के लिए जन्म प्रमाणपत्र नगर निगम से बनवा लेना चाहिए. क्योंकि अधिकांश विद्यालयाें के प्रधानाचार्य का स्पष्ट कहना है कि वे नगर निगम द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र ही प्रवेश के दौरान स्वीकार करेंगे. एलकेजी में प्रवेश के लिए न्यूनतम साढ़े तीन साल उम्र होना जरूरी है. यूं तो शिक्षा के लिहाज से भागलपुर पूर्वी बिहार में शिक्षा का बड़ा हब बन चुका है. यहां पर एक से बढ़ कर एक स्कूल हैं. बच्चों का एडमिशन प्राइमरी से लेकर सीनियर क्लास में कराने के लिए शहर में सीबीएसइ बोर्ड से संबद्ध नवयुग विद्यालय, एसकेपी विद्या बिहार, डीएवी पब्लिक स्कूल, टेक्नो मिशन स्कूल, आनंद राम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर, सावित्री देवी बाजोरिया सरस्वती शिशु मंदिर, रावतमल नोपानी सरस्वती शिशु मंदिर, चौहान पब्लिक स्कूल, वीजे इंटरनेशनल स्कूल, न्यू होराइजन स्कूल, डिवाइन हैप्पी स्कूल, गोथल्स पब्लिक स्कूल आदि प्रमुख हैं. इसी तरह आइसीएसइ बोर्ड से संबंद्ध माउंट असीसि स्कूल (जूनियर व सीनियर सेक्शन), सेंट जोसेफ स्कूल, सेंट टेरेसा स्कूल, माउंट कार्मेल स्कूल, डॉन बॉस्को स्कूल व सेंट जोसेफ स्कूल कहलगांव प्रमुख है. बच्चों की संख्या बढ़ी भागलपुर में आज की तारीख में भले ही अच्छे स्कूलाें की संख्या अच्छी-खासी हो, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बच्चों की संख्या भी बढी है. घोषणा तो हुई लेकिन नहीं खुले मॉडल स्कूलइंग्लिश मीडियम स्कूलाें की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों काे भी शिक्षा देने की कवायद तो बड़े ही जोर-शोर से की गयी, लेकिन यह योजना हकीकत का रूप धारण नहीं कर सकी. केंद्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त समन्वय पर भागलपुर जिले के सभी 16 प्रखंड में एक-एक मॉडल स्कूल खोला जाना था. इन स्कूलों में नवोदय विद्यालय की तरह ग्रामीण बच्चों के लिए हॉस्टल, क्लास रूम, शिक्षक-कर्मचारी आवास, खेल का मैदान, पुस्तकालय, कंप्यूटर रूम और उन्नत प्रयाेगशाला बनाया जाना था. इसके लिए इंग्लिश मीडियम स्कूलों की तरह बच्चों को प्रोजेक्टर के जरिये पढ़ाया भी जाना था. अगर ऐसा हो जाता तो शहर के नामी स्कूलाें पर एडमिशन के लिए इस तरह की मारामारी नहीं होती जितनी कि हर साल होती है.अच्छे स्कूलाें की जरूरत है शहर को गुड़हट्टा चौक की रहने वाली नेहा रानी का कहना है कि हर साल शहर के गिनती के स्कूलाें में प्रवेश के लिए हजारों की संख्या में प्रवेश फार्म जमा जमा किया जाता है. हर स्कूल में औसतन 100-200 बच्चों का ही प्रवेश हो पाता है. हर साल एडमिशन के लिए मारामारी होती है. शहर में अच्छे स्कूलाें की संख्या बढ़नी चाहिए.
त्योहार खत्म, अब होगी एडमिशन की तैयारी
त्योहार खत्म, अब होगी एडमिशन की तैयारी संवाददाता, भागलपुरदशहरा से शुरू हुआ त्योहारों का सिलसिला छठ पर आकर समाप्त हो गया है. अभिभावकाें के सामने अब बच्चों का अच्छे स्कूल में एडमिशन कराना नयी चुनौती होगी. एक तरफ जहां अपने बच्चों का मनपसंद शिक्षण संस्थान में दाखिला दिलाने के लिए उन्हें जूझना होगा, तो वहीं […]
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