पटना : एक तरफ चुनाव में िमली हार पर भाजपा का प्रदेश नेतृत्व कुछ कहने को तैयार नहीं है, वहीं सांसद भोला सिंह प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व पर जमकर बरसे. भाजपा सांसद ने कहा कि हार की समीक्षा कर जिम्मेवार लोगों पर कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि दल की स्थिति घुटने भर पानी में डूबने वाली है.
बेगूसराय के सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बीफ, डीएनए, पाकिस्तान से लेकर जिस स्तर पर बात की, वह शोभनीय नहीं था. यह उस पद के मर्यादा के खिलाफ था. इनलोगों को नीति की बात करनी चाहिए. दो तिहाई बहुमत का दावा करने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष शेष पेज 21 पर
पीएम मोदी की…
यह नहीं बता पाये कि मुख्यमंत्री कौन होगा. उन्होंने कहा कि पार्टी की रणनीति , कार्यनीति सभी फेल हो गयी. संघ प्रमुख का आरक्षण वाले बयान से भी नुकसान हुआ. भाजपा के साथ मंडल तो था नहीं कमंडल भी नहीं रहे. प्रजातंत्र को राजतंत्र की तरह नहीं चलाया जा सकता. सुझाव व सलाह देने वाले को अपमानित किया गया.
हार पर कुछ कहने को तैयार नहीं भाजपा का प्रदेश नेतृत्व
विधानसभा के चुनाव परिणाम पर प्रदेश भाजपा के तीनों बड़े नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. सभी नेताओं का एक ही जबाव है समीक्षा हो रही है. मंगलवार को भी सोमवार की तरह विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी. विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने भाजपा कार्यालय में दल के नेताओं के साथ परिणाम पर चर्चा की.
प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि महागंठबंधन की सामाजिक गोलबंदी अधिक मजबूत रहा. सोमवार व मंगलवार को नेताओं की जो बैठक हुई थी उसमें यही बात नेताओं ने कहा. चुनाव परिणाम के दिन विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी. विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने भाजपा संवाददाताओं से कहा था कि चुनाव परिणाम की समीक्षा होगी.
हमारी सामाजिक गोलबंदी उनके मुकाबले कमजोर रही. इधर चुनाव परिणाम के बाद मौजूदा प्रदेश पर हमले भी शुरु हो गए हैं. नेताओंने हार के लिए बिहार की तिकड़ी को जिम्मवार ठहराया जा रहा है. भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और आरके सिंह बाद बेगुसराय के सांसद भोला सिंह ने भी निशाना साधा है. प्रदेश नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवाल पर तीनों नेताओं ने किसी तरह की टिपण्णी से इंकार कर दिया.
दुसरी ओर अनाधिकृत तौर पर दल के लोग स्वीकार करते हैं कि वोट का ध्रवीकरण अगड़ा बनाम पिछड़ा के नाम पर हुआ. अतिपिछड़ों से जिस वोट की उम्मीद थी वह नहीं मिला. कुशवाहा का वोट भी पुरी तरह शिफ्ट नहीं हो पाया. आरक्षण के मुद्दे का भी लाभ महागंठबंधन को मिला. आरक्षण का जब तक पार्टी काट करती तबतक बहुत देर हो चुकी थी. हार के सदमें से पार्टी उबर नहीं पा रहा है. दीपावली पर पार्टी कार्यालय में खामौशी पसरी रही.