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जीविका की जद्दोजहद में बीत रही जिंदगी

जीविका की जद्दोजहद में बीत रही जिंदगीतसवीर: सुरेंद्र -गंगटी कुम्हार टोला के 30 परिवार पूरा करते हैं मिट्टी बरतन की मांग- बाजार में बिचौलिये औने-पौने दाम में बरतन बेंच हो रहे मालामाल- मिट्टी व जलावन के दाम बढ़ने से मुनाफा पर पड़ रहा असर वरीय संवाददाता, भागलपुरदीपावली पर मिट्टी के दीपक बना घर आंगन को […]

जीविका की जद्दोजहद में बीत रही जिंदगीतसवीर: सुरेंद्र -गंगटी कुम्हार टोला के 30 परिवार पूरा करते हैं मिट्टी बरतन की मांग- बाजार में बिचौलिये औने-पौने दाम में बरतन बेंच हो रहे मालामाल- मिट्टी व जलावन के दाम बढ़ने से मुनाफा पर पड़ रहा असर वरीय संवाददाता, भागलपुरदीपावली पर मिट्टी के दीपक बना घर आंगन को रोशन करनेवाले कुम्हाराें की जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा है. प्रकाश पंडित(45) के दोनों बच्चे दिल्ली में काम करते हैं. मिट्टी के बरतन बनाने का उनका यह पुस्तैनी धंधा है, लेकिन इसमें पर्याप्त मुनाफा नहीं होने से बच्चे इस धंधे में नहीं आ रहे हैं. मिट्टी व जलावन के दाम बढ़ने से पर्याप्त मुनाफा नहीं हो रहा है. प्रकाश पंडित की तरह भागलपुर के गंगटी स्थित कुम्हार टोला में बसे करीब 30 परिवारों की कुछ यही कहानी है. टोला में बरतन बनाने में उम्रदराज लोगों की तादाद है. नौजवानों की इसमें कमी है. अधिकतर परिवार जीविका की जद्दोजहद में जिंदगी गुजार रहे हैं. सरकारी योजनाओं से बेखबर कुम्हार दीपावली पर्व पर दीपक निर्माण का काम जरूर कर रहे हैं. कमाने के दो सीजन, गुजारा 12 माह तक कुम्हार टोला के लोगों ने बताया कि मिट्टी के बरतन की बिक्री मुख्य रूप से दो सीजन में होती है. एक सीजन गरमी का होता है, जिसमें सुराही की मांग होती है और दूसरा सीजन दीपावली है. गरमी के सीजन से अधिक दीपावली पर्व पर काम होता है. दीपावली को लेकर पिछले दो माह से ही मिट्टी के बरतन बनाने में तमाम कुम्हार जुट जाते हैं, ताकि पर्व पर जिलेवासियों की मांग को पूरा किया जा सके. इन दो सीजन में होनेवाली कमाई से पूरे 12 माह गुजारा करना पड़ता है. मिट्टी व जलावन महंगी, बरतन के दाम में मामूली वृद्धि कुम्हार टोला के लोगों ने बताया कि वर्तमान में एक हजार रुपये ट्राॅली मिट्टी व दो हजार रुपये का जलावन एक सीजन में लग जाता है. पांच सौ रुपये कोयला और ढाई सौ रुपये पुआल पर खर्च हो रहा है. मिट्टी के बरतन की कीमत की बात करें तो इसमें प्रति वर्ष 50 पैसे से लेकर एक रुपये की मामूली वृद्धि हो रही है. प्रति वर्ष मिट्टी व जलावन में 50 रुपये से लेकर एक सौ रुपये तक का इजाफा हो जाता है.महंगाई के दौर में एक रुपये मुनाफा पर ही कुम्हार अपने बरतन बेचने के लिए मजबूर हैं. सरकार की ओर से उन्हें कोई बाजार मुहैया नहीं करवाया है. बिचौलिये कमाते हैं दोगुना मुनाफा कुम्हार टोला के मिट्टी के बरतन बाजार आते-आते इसके दाम दोगुना से भी अधिक हो जाते हैं. इसमें बिचौलिये की भूमिका अहम होती है. वह मामूली बढ़ोतरी से बरतन खरीद कर बाजार में उसे अपने मनमाफिक दर पर बेचते हैं. टोला के कुम्हारों ने बताया कि उनके यहां से बरतन खरीदने वाले अच्छी कमाई कर लेते हैं. यह है दर का अनुपात सामान सामान्य दर बाजार दर हड़िया 5 रुपये 15-20 रुपये दीप 350 रुपये सैकड़ा 5 रुपये पीस कलश 450 रुपये सैकड़ा 20 रुपये पीस धूपदानी 450 रुपये सैकड़ा 25 रुपये पीस घैला 20 रुपये प्रति पीस 40 रुपये पीस घरौंदा को लेकर विभिन्न सामान का दर सामान सामान्य दर बाजार दर बाल्टी 5 रुपये 8-10 रुपये करहिया 15 रुपये 30-35 रुपये गुड़िया 25 रुपये 50-100 रुपये पहुंचें गंगटी के कुम्हार टोली, सस्ता पड़ेगा बरतन कुम्हार टोली के बरतन बनाने वालों ने कहा कि अगर आम लोग गंगटी के कुम्हार टोला से खरीदारी करें, तो वह बिचौलिये के मनमाफिक दाम से जरूर बच जायेंगे. वह भी खुदरा में मिट्टी बरतन को बेचते हैं.

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