बेटी बोली, मम्मी को मार दिया डॉक्टर- छह दिनों से मेडिसिन वार्ड में नीलम पांडे का चल रहा था इलाज- सोमवार करीब चार बजे नीलम की हालत काफी गंभीर हो गयी थी- आरोप है कि बेटी ट्वींकल के गुहार लगाने के बाद भी मरीज को नहीं देखा गया संवाददाताभागलपुर : जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में पिछले छह दिनों से इलाज करा रही नीलम पांडे की सोमवार शाम छह बजे मौत हो गयी. लालूचक, मिरजानहाट की रहने वाली नीलम पांडे की मौत हो जाने पर आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. मृतका की बेटी ट्वींकल पांडे ने बताया कि मेडिसिन वार्ड के 10 नंबर बेड पर मां का इलाज किया जा रहा था. जब करीब चार बजे शाम में मां की तबीयत बिगड़ी तो बीएसटी लेकर इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टरों को बताया और वार्ड में जाकर देखने के लिए कहने लगी. ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जिस डॉक्टर की यूनिट में इलाज चल रहा है, वहीं देखेंगे. बाद में बार-बार गुहार लगाने पर बीएसटी उठा कर फेंक दिया. बेटी ने कहा कि अगर समय से सीनियर डॉक्टरों द्वारा इलाज होता तो मां की मौत नहीं होती. पहले डॉ अंजुम परवेज के यहां चल रहा था इलाजमौके पर मौजूद मृतका के भाई बबलू तिवारी ने बताया कि नीलम का इलाज पिछले तीन महीने से डॉ अंजुम परवेज के यहां चल रहा था. डॉ अंजुम परवेज के यहां जांच रिपोर्ट में नीलम के लीवर में सूजन बताया गया था. बाद में नवमी के दिन डॉ अंजुम ने मरीज को जेएलएनएमसीएच में भरती करने को कह दिया. इमरजेंसी वार्ड से दो घंटे की जांच के बाद मेडिसिन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. छह दिनों से मेडिसिन वार्ड में ही इलाज चल रहा था. सोमवार सुबह तबीयत बेहतर थी. बैठ कर नाश्ता भी किया था. शाम करीब चार बजे हालत गंभीर हो गयी. परिजनों ने कहा कि अगर डॉक्टर मेडिसिन वार्ड में जाकर देख लेते तो आज यह स्थिति नहीं हाेती. ट्रॉली वाले को खोजकर लाने और ट्रॉली से मेडिसिन वार्ड से इमरजेंसी वार्ड लाते-लाते हालत काफी गंभीर हो गयी. हालत गंभीर रहने के बाद भी सीनियर डॉक्टर की जगह जूनियर डॉक्टरों ने ही मरीज को देखा और अंतत: छह बजे मौत हो गयी. बॉक्स में ………….लापरवाही थी तो डॉक्टरों पर एफआईआर करते, हंगामा उचित नहीं जेएलएनएमसीएच अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने कहा कि आक्रोशित परिजनों के द्वारा इमरजेंसी वार्ड में मारपीट व हंगामा पूरी तरह गलत है. उन्हाेंने कहा कि अगर डॉक्टर की लापरवाही हुई भी हो तो इसके लिए कानूनी प्रक्रिया है. प्राथमिक दर्ज करा सकते हैं, लेकिन अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ और डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के साथ मारपीट ठीक नहीं है. बॉक्स में ………….इमरजेंसी वार्ड में मरीज की तभी भरती होगी जब सीनियर डॉक्टर देखेंगे इमरजेंसी वार्ड में हंगामा व हाथापाई की घटना के बाद अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने इमरजेंसी वार्ड में भरती होने वाले मरीजों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. उन्होंने कहा कि अब इमरजेंसी वार्ड में मरीज की भरती तभी होंगे, जब एसओडी यानी सर्जन ऑन ड्यूटी और पीओडी यानी फिजिसियन ऑन ड्यूटी देखेंगे. यह निर्णय इसलिए लिया गया है कि इमरजेंसी वार्ड से लगातार शिकायत आ रही थी कि जूनियर डॉक्टर ही मरीज को भरती कर देते हैं और इस कारण कई गलतियां हो जाती हैं.
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बेटी बोली, मम्मी को मार दिया डॉक्टर
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