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कभी ये गुलजार था, आज चमन कहीं और है

कभी ये गुलजार था, आज चमन कहीं और है-दुर्गापूजा में ग्राहकों से भरी होती थीं घंटाघर फुटपाथ की दुकानें-पिछले दो साल में दुकानों में बिक्री हो गयी आधी से भी कमफोटो : सुरेंद्र-22वरीय संवाददाता, भागलपुरघंटाघर फुटपाथ की दुकानों में पहले मध्यम वर्गीय परिवार भी कपड़ों की खरीदारी के लिए आया करते थे. दुर्गापूजा के दौरान […]

कभी ये गुलजार था, आज चमन कहीं और है-दुर्गापूजा में ग्राहकों से भरी होती थीं घंटाघर फुटपाथ की दुकानें-पिछले दो साल में दुकानों में बिक्री हो गयी आधी से भी कमफोटो : सुरेंद्र-22वरीय संवाददाता, भागलपुरघंटाघर फुटपाथ की दुकानों में पहले मध्यम वर्गीय परिवार भी कपड़ों की खरीदारी के लिए आया करते थे. दुर्गापूजा के दौरान सड़क भी जाम हो जाती थी. दुकानें ग्राहकों से भरे होते थे. लेकिन आज इन दुकानों की रौनक कहीं खो-सी गयी हैं. दुकानों में चंद ग्राहक देखने को मिलते हैं. यहां कुछ दुकानें ऐसी हैं, जिनके कुछ स्थायी ग्राहक हैं. लेकिन यह अवसर सभी दुकानदारों को नहीं है. घंटाघर फुटपाथ दुकानदार संघ के सचिव रूपेश चौरसिया बताते हैं कि पिछले दो वर्षों में भागलपुर में कई मॉल खुले. कमोबेश हर तरह की सामग्री एक जगह ग्राहकों को मिलने लगी. लोगों को पसंद के लिए ढेर सारे विकल्प उपलब्ध करा दिये गये. फुटपाथ दुकानों से भीड़ छंटती चली गयी. आज स्थिति यह है कि दुर्गापूजा के दौरान रोजाना 25 हजार तक की बिक्री करनेवाले दुकानदार किसी तरह 10 हजार रुपये तक के सामान बेच पा रहे हैं. मोल-भाव में कौन समय गंवाये बाजार की एक बड़ी दुकान से खरीदारी कर लौट रहे एक ग्राहक का कहना था कि अब बड़ी दुकानों में जाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ग्राहकों को सामान का मोल-भाव करने में समय नहीं गंवाना होता है. यह अनुमान लगाने की जरूरत नहीं होती कि किस कपड़े की कीमत कितनी होनी चाहिए. लिहाजा फुटपाथ के दुकानदारों को दुकानदारी के तरीकों में कुछ बदलाव करना होगा.

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