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फंड का अभाव : पुरानी रेल परियोजनाएं ठंडे बस्ते में

फंड का अभाव : पुरानी रेल परियोजनाएं ठंडे बस्ते में सब हेडिंग : 14 साल से स्लो ट्रैक पर चल रही चार पुरानी परियोजना, बजट के अभाव में एक हुआ दरकिनार -प्रभात पड़ताल ब्रजेश, भागलपुररेलवे के पिछले 14 सालों से चल रही पुरानी रेल परियोजनाएं फंड के अभाव में एक तरह से ठंडे बस्ते में […]

फंड का अभाव : पुरानी रेल परियोजनाएं ठंडे बस्ते में सब हेडिंग : 14 साल से स्लो ट्रैक पर चल रही चार पुरानी परियोजना, बजट के अभाव में एक हुआ दरकिनार -प्रभात पड़ताल ब्रजेश, भागलपुररेलवे के पिछले 14 सालों से चल रही पुरानी रेल परियोजनाएं फंड के अभाव में एक तरह से ठंडे बस्ते में चली गयी है. हालांकि कुछ परियोजनाओं के जल्द पूरी होने की भी उम्मीद है. नयी घोषणाओं को लेकर रेलवे और जनप्रतिनिधि सुविधाएं जल्द मिलने का दावा कर रहे हैं, मगर हकीकत यह है कि पुरानी परियोजनाएं ही अधर में हैं. कुछ इस तरह की परियोजनाओं व इनकी स्थिति पर पड़ताल करती खबर इस प्रकार है. रेल परियोजना-1 नाम : सुलतानगंज भाया बेलहर-कटोरिया नयी रेल लाइन परियोजना लंबाई : 75 किमी प्राक्कलन राशि : 288.85 करोड़ स्वीकृति : वर्ष 2007-08सुविधा : सुलतानगंज से देवघर तक सीधी रेल यात्रा पड़ताल : सात साल भी सुलतानगंज भाया असरगंज-बेलहर-कटोरिया नयी रेल लाइन परियोजना को लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. जमीन अधिग्रहण के मामले में होने वाला खर्च डेढ़ सौ गुणा अधिक बढ़ गया है. परियोजना के कार्यान्वयन को लेकर करीब आठ साल पहले 288.85 करोड़ का प्राक्कलन को स्वीकृति के लिए मुख्यालय को भेजा गया है. बजट के अभाव में रेलवे ने रेल परियोजना को दरकिनार कर दिया है. रेल परियोजना-2 नाम : देवघर-बांका रेल लाइन परियोजनालंबाई : 117 किमी लागत : 477 करोड़ स्वीकृति : वर्ष 2001सुविधा : भागलपुर से बांका होते हुए देवघर तक रेल यात्रा पड़ताल : लगभग 14 साल बाद देवघर-बांका रेल लाइन परियोजना लगभग पूरी होने के कगार पर है. सबकुछ ठीक ठाक रहा, तो मार्च से ट्रेन परिचालन की उम्मीद बन सकती है. चार चरणों में काम शुरू किया गया था. पहले चरण में 15 किमी लंबी देवघर से चांदन तक ट्रेनें चल रही है. बांकी तीन चरण में चांदन से कटोरिया (15 किमी), कटोरिया से खरझौ (10 किमी) एवं खरझौसा से बांका (14.5 किमी) में थोड़ी-बहुत अड़चनें आयी है, जिसे जल्द दूर कर लिया जायेगा. अड़चन दूर करने के लिए रेलवे अधिकारी लगे हैं. यह परियोजना करीब 477 करोड़ की है और इसे वर्ष 2001 में स्वीकृति मिली थी. स्वीकृति मिलने के साथ नयी रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हो गया था. रेल परियोजना-3 नाम : पीरपैंती-जसीडीह रेल लाइन परियोजनालंबाई : 130 किमी लागत : 500 करोड़ (लगभग)स्वीकृति : वर्ष 2013-14सुविधा : पीरपैंती से गोड्डा, हंसडीहा होकर जसीडीह तक रेल यात्रा पड़ताल : पीरपैंती-जसीडीह नयी रेल लाइन परियोजना के तहत पीरपैंती से गोड्डा और हंसडीहा से जसीडीह के बीच सर्वे हो रहा है. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. इस रेल लाइन परियोजना का काम तीन चरणों में होगा, जिसमें से 32 किमी लंबी गोड्डा-हंसडीहा रेल लाइन की परियोजना को मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. इस चरण के परियोजना का सर्वे हो चुका है. करीब 267 करोड़ के प्राक्कलन को भी स्वीकृति मिल गयी है. परियोजना जमीन अधिग्रहण के पेच में फंस सकता है. बॉक्स मैटर तीनपहाड़-भागलपुर रेल लूपखंड : देहरीकरण का कार्य प्रगति धीमी, 14 साल बाद भी नहीं हो सका पूरा भागलपुर से लैलख स्टेशन के बीच लगभग 14 किमी लंबी रेल लाइन दोहरीकरण का काम भागलपुर इंजीनियरिंग विंग को कराने की जिम्मेवारी मिली है. दोहरीकरण का काम चल रहा है, मगर कार्य की प्रगति धीमी है. यह काम पूरा होने के बाद ही जमालपुर इंजीनियरिंग विंग दोहरीकरण का काम करायेगी. साहेबगंज से भागलपुर के बीच रेल लाइन दोहरीकरण कार्य के तहत साहेबगंज से पीरपैंती के बीच हाल के कुछ माह पहले दोहरीकरण का काम पूरा हुआ है. पीरपैंती से भागलपुर के बीच दोहरीकरण का काम होना शेष रह गया है. यहां भी कार्य चल रहा है. मालूम हो कि झारखंड और बिहार के रेल संपर्क को और अधिक सुलभ बनाने के लिए तीनपहाड़-भागलपुर रेल लूपखंड के 111 किमी हिस्से का दोहरीकरण के काम को लेकर रेलवे मंत्रालय से वर्ष 2009 में मंजूरी मिली थी. चार चरणों में रेल लाइन का दोहरीकरण हो रहा है. पहले चरण में तीन पहाड़ से साहेबगंज के बीच पिछले साल जुलाई से पहले काम पूरा हो गया है. दूसरे चरण में साहेबगंज से पीरपैंती के बीच ट्रैक दोहरीकरण का काम हाल के कुछ दिन पहले पूरा किया गया है. दूसरे चरण का काम पूरा होने के साथ तीसरे और चौथे चरण में पीरपैंती से भागलपुर के बीच दोहरीकरण का काम शुरू किया गया है. भागलपुर और साहेबगंज के बीच सिंगल ट्रैक से परेशानी हो रही है. इससे ट्रेनों की गति धीमी हो जाती है. साहेबगंज लूपखंड का निर्माण 1862 में हुआ था. इसके बाद से इस रेल खंड पर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया था. वर्तमान में भागलपुर स्टेशन पर 42 जोड़ी ट्रेनें का ठहराव होता है. इससे ट्रेन के गुजरने में समस्या होती है. अक्सर ट्रैक खराबी की भी सूचनाएं मिलती रहती है. कोट बजट बढ़ जाने से सुलतानगंज वाया बेलहर-कटोरिया नयी रेल लाइन परियोजना को रेलवे ने स्लो ट्रैक पर डाल दिया है. देवघर-बांका रेल लाइन परियोजना मार्च तक पूरी हो जायेगी. पीरपैंती-जसीडीह रेल लाइन परियोजना का सर्वे होगा. इसके बाद प्लानिंग के साथ लाइन बिछाने का काम होगा. मार्च तक हंसडीहा-पलासी रेल लाइन परियोजना भी पूरी हो जायेगी.राजेश अर्गल डीआरएम, मालदा

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