भागलपुर: पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने गुरुवार को अपने आदेश में भागलपुर उपभोक्ता फोरम के सदस्य जुबैर अहमद को अमान्य घोषित कर दिया. सुनील कुमार अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को फटकार लगायी. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में जुबैर अहमद की नियुक्ति में नियम की अनदेखी की बात कही. कोर्ट ने जुर्माने की राशि पटना हाइकोर्ट के विधिक कमेटी के खाते में एक महीने के भीतर जमा कराने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि जुबैर अहमद की नियुक्ति अधिसूचना पर खाद्य उपभोक्ता विभाग के सचिव का दस्तखत है. इसलिए जुर्माने की रकम सचिव के वेतन से जमा कराने का आदेश दिया है. कोर्ट की सुनवाई में फोरम सदस्य के मनोनयन को लेकर उनकी शिक्षा व मूल्यांकन पर भी सवाल किये गये. यह है मामला नया बाजार के सुनील कुमार अग्रवाल ने सीडब्लूजेसी 14078/2015 के तहत राज्य सरकार के अलावा खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव, उपभोक्ता संरक्षण आयोग के सचिव व वर्तमान समय में भागलपुर उपभोक्ता संरक्षण के सदस्य मो जुबैर अहमद के खिलाफ याचिका लगायी. याचिका में कहा गया कि जुबैर अहमद की नियुक्ति 18 दिसंबर 2014 को की गयी थी. जुबैर की योग्यता स्नातक भी नहीं है. वह देवघर के हिंदी विद्यापीठ से साहित्य अलंकार का डिग्रीधारी हैं.
जबकि, सरकार के नियमों के मुताबिक उपभोक्ता फोरम के सदस्य की नियुक्ति के लिए स्नातक की योग्यता अनिवार्य है. इस दौरान हाइकोर्ट के राज्य सरकार बनाम रीता श्रीवास्तव में दिये आदेश का हवाला दिया गया. इसमें कोर्ट ने साहित्य अलंकार की डिग्री को ग्रेजुएट के समतुल्य नहीं माना था. दूसरी तरफ सुनवाई में चयन सदस्यों के दिये मूल्यांकन का भी उल्लेख हुआ. इसमें सुनील कुमार अग्रवाल को 72 व जुबैर अहमद को 67 अंक दिये गये. इस तरह जुबैर अहमद फोरम के सदस्य बनने से पहले भी दो बार इस पद पर बने रहने की बात बतायी गयी.