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राष्ट्रपिता को भागलपुर से था गहरा लगाव

भागलपुर के लोगों को विकास के मार्ग पर अग्रसर होने की दी दिशा पहली यात्रा में बिहार छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता की और हिंदी को बढ़ावा देने पर दिया जोर दूसरी यात्रा में किसानों व मजदूरों को बताया अपना और हिंदू-मुसलिम एकता पर दिया बल तीसरी यात्रा में खादी व छुआछूत पर की चर्चा भागलपुर […]

भागलपुर के लोगों को विकास के मार्ग पर अग्रसर होने की दी दिशा

पहली यात्रा में बिहार छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता की और हिंदी को बढ़ावा देने पर दिया जोर
दूसरी यात्रा में किसानों व मजदूरों को बताया अपना और हिंदू-मुसलिम एकता पर दिया बल
तीसरी यात्रा में खादी व छुआछूत पर की चर्चा
भागलपुर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भागलपुर चार बार पधारे थे और यहां के विकास के लिए लोगों को प्रेरित किया था. उन्होंने यहां के लोगों को विकास के मार्ग पर अग्रसर होने की दिशा दी थी.
इससे साबित होता है कि बापू का भागलपुर से गहरा लगाव था.
पहली यात्रा में उन्होंने बिहार छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता की और देश की आजादी पर चर्चा की. दूसरी यात्रा में सभा के दौरान किसानों व मजदूरों को अपना बताया और हिंदू-मुसलिम एकता पर जोर दिया.
तीसरी यात्रा में खादी को बढ़ावा देने और छुआछूत को समाज से मिटाने की बात कही थी. चौथी बार भागलपुर से गुजरते हुए मुंगेर में आये भूकंप की स्थिति का अवलोकन किया था.
भागलपुर में चार बार आये थे बापू
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के डीन सह गांधीवादी चिंतक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि गांधी जी भागलपुर चार बार आये थे. पहली बार 10 अप्रैल को बिहार आये और इस क्रम में 15 अक्तूबर 1917 को भागलपुर पहुंचे थे. उन्होंने बिहार सम्मेलन की अध्यक्षता की थी.
डॉ कुमार ने बताया सभा में उन्होंने कहा था कि मातृभाषा का अनादर कर हमें पाप का कड़वा फल भोगना पड़ेगा. शिक्षा जो विचार करना नहीं सिखाती, वह व्यर्थ है. शिक्षा का उद्देश्य चरित्र का निर्माण है. दूसरी बार 11 दिसंबर 1920 को जमालपुर में मजदूरों की सभा को संबोधित किया और 12 दिसंबर को भागलपुर पहुंचे.
उन्होंने सभा में कहा था कि मैं यहां पर किसानों का धंधा वकीलों के धंधे से अधिक पसंद करता हूं. मजदूरों का स्थान ऊंचा है. हिंदू-मुसलिम एकता पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन में मदरसों की संख्या घट रही है, जबकि शराब की दुकानें बढ़ रही है. मद्यपान निषेध एक अक्तूबर 1925 को तीसरी बार पटना होते हुए भागलपुर आये. इस सभा में उनको सम्मान पत्र प्रदान किया गया.
दोबारा उन्होंने हिंदू-मुसलिम की समस्या का जिक्र किया और कहा कि दोनों संप्रदायों पर अब मेरा प्रभाव हो. खादी और छूआछूत पर अपनी बात रखी. उन्होंने मारवाड़ी अग्रवाल सभा व एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया और बांका होते हुए देवघर चले गये. चौथी और अंतिम बार तीन अप्रैल 1934 को उत्तर बिहार के विभिन्न स्थानों का भ्रमण करते हुए बिहपुर होते हुए दीप नारायण सिंह के स्टीमर से भागलपुर आये और मुंगेर चले गये.
वहां पर सार्वजनिक सभा को संबोधित किया. इस प्रकार कह सकते हैं कि महात्मा गांधी का भागलपुर से गहरा नाता रहा है.
शिव भवन में मना था 56वां जन्म दिन
साहित्यकार डॉ बहादुर मिश्र ने बताया कि पहली बार जब वह छात्रों को जागृत करने आये थे, ताकि छात्र देश के लिए समर्पित हो और शीघ्र ही आजादी मिल सके. एक बार जब वह भागलपुर आये, तो उनका 56वां जन्मदिन भागलपुर के शिव भवन में मनाया गया था. 1934 में भागलपुर होते हुए मुंगेर गये थे,
जहां पर भूकंप में हुई क्षति और जनता की पीड़ा को देखा, प्रशासन से जनता के हित की बात की थी. इस दौरान घोरघट में उन्हें लाठी मिली थी. यही लाठी उनकी जिंदगी में शामिल हो गयी.
हिंदी में भाषण देने की अनुमति देकर की कृपा : बापू
गांधीवादी लेखक प्रो श्रीभगवान सिंह ने बताया कि गांधी और हिंदी राष्ट्रीय जागरण स्व रचित पुस्तक में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि महात्मा गांधी पहली बार भागलपुर 15 अक्तूबर 1917 में आये थे.
यहां पर बिहार के छात्रों का सम्मेलन था. उस समय छात्रों के बीच भाषण भी दिये थे. उस समय उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि हिंदी में भाषण देने की अनुमति देकर आप ने मुझ पर बड़ी कृपा की. क्योंकि हिंदी ही देश की मातृ व राष्ट्र भाषा है.

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