23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

65 में 40 प्रकार की ही दवा उपलब्ध

भागलपुर : जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध नहीं रहने से मरीजों को अधिकतर दवा बाहर के मेडिकल दुकानों से खरीदना पड़ता है. मोटे तौर पर मेडिकल अस्पताल में आडट डोर विभाग के लिए 65 प्रकार की दवा उपलब्ध करायी जाती है. वर्तमान में 65 में से मात्र 40 प्रकार […]

भागलपुर : जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध नहीं रहने से मरीजों को अधिकतर दवा बाहर के मेडिकल दुकानों से खरीदना पड़ता है. मोटे तौर पर मेडिकल अस्पताल में आडट डोर विभाग के लिए 65 प्रकार की दवा उपलब्ध करायी जाती है. वर्तमान में 65 में से मात्र 40 प्रकार की ही दवा उपलब्ध है.

इनडोर विभाग के लिए 160 प्रकार की दवा राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से दी जाती है, लेकिन फिलहाल अस्पताल में मात्र 107 प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. उसमें भी कालाजार, मलेरिया, डायरिया आदि बीमारियों की कई महत्वपूर्ण सुई उपलब्ध नहीं है. पिछले एक माह से रैबिज की सुई भी नहीं है.

कहते हैं अधीक्षक : जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के अनुसार दवा की लिस्ट काफी अधिक है, लेकिन कई ऐसी दवाएं हैं, जो अब उपयोग नहीं होती है. कई दवाएं बहुत कम इस्तेमाल होती है और ऐसी दवाएं ज्यादातर एक्सपायर हो जाती है. हां कुछ दवाएं जो जरूरी है, उसके लिए कॉरपोरेशन को लिखा गया है. अब दवा खरीद को केंद्रीकृत कर दिया गया है. अब दवा सीधे राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से खरीद कर सभी अस्पतालों को भेजी जाती है.
जेनेरिक की तुलना में अधिक होती है ब्रांडेड दवा की कीमत : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइड लाइन के तहत डॉक्टरों को ज्यादा-से-ज्यादा जेनेरिक दवाई लिखनी है, लेकिन प्रैक्टिस में देखा जाता है कि अधिकतर डॉक्टर मरीजों को जेनेरिक दवा की जगह ब्रांडेड कंपनियों की दवा ही ज्यादा लिखते हैं.
सख्त कानून : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखने की अनिवार्यता के लिए जल्द ही नये प्रावधान लाने जा रही है. मंत्रालय के अनुसार नये प्रावधान में डॉक्टरों को जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य होगा.
परची में 10% भी नहीं लिखते हैं जेनेरिक दवा
जवाहरल लाल नेहरू मेडिकल अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के अलावा रोजाना आउटडोर में इलाज के लिए औसतन एक हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं. शनिवार को प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के परची में लिखे दवा को देखा, तो पाया कि परची पर डॉक्टर के लिखे दवा में करीब 90 प्रतिशत दवा जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड दवा कंपनियों की दवा हैं. कान दर्द का इलाज कराने आयी संत नगर की सोनी देवी, हार्निया का इलाज कराने पहुंचे विशनपुर के अनूप लाल यादव, सिर दर्द का इलाज कराने आये चंपा नगर के मो इरशाद अंसारी, सिर व गर्दन दर्द का इलाज कराने पहुंची बरारी की माला देवी, जांघ का ऑपरेशन कराने आये मुस्तफापुर, पुरैनी के मो मोकिल, कान दर्द का इलाज कराने पहुंचे जगदीशपुर के मुंकुद कुमार आदि की परची पर जो दवाई लिखी गयी थी, उसमें से अधिकतर दवाई जेनेरिक नहीं होकर ब्रांडेड दवा कंपनियों की थीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें