शुक्रवार को मुंबई स्थित एक अस्पताल में 1.55 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले सात-आठ महीने से मुंह के कैंसर से पीड़ित थे और दो दिनों से वेटिलेटर पर थे. उनके निधन से विश्वविद्यालय में मातम छा गया है. डॉ सिंह की पत्नी, दो शादीशुदा पुत्री व एक इंजीनियर पुत्र हैं.
वे जहां भी रहे, अच्छे प्रशासक व वैज्ञानिक के रूप में रहे. जिस कमेटी में भी रहते थे काफी अच्छी भूमिका निभाते थे. प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने बताया कि वे डॉ सिंह के साथ साथ ही 30.3.1978 को पीजी बॉटनी विभाग में ज्वाइन किये थे. डॉ सिंह टीएनबी कॉलेज शिक्षक संघ के सचिव भी रहे थे. दो बार सिंडिकेट का चुनाव जीते. मूल रूप से छपरा के रहनेवाले थे.
उनके जाने से हुई कमी की भरपाई संभव नहीं है. टेबलेशन डायरेक्टर डॉ ज्योतिंद्र चौधरी ने बताया कि जैसे ही डॉ सिंह के निधन की सूचना मिली, टेबलेशन का काम बंद कर दिया गया. डॉ चौधरी ने बताया कि उनका ऐसा जिगरी दोस्त चला गया, जिससे लड़ते थे, तो गले भी मिलते थे. सीनेट सदस्य डॉ मृत्युंजय सिंह गंगा, कॉलेज इंस्पेक्टर डॉ मनींद्र कुमार सिंह, भुस्टा के महासचिव डॉ शंभू प्रसाद सिंह ने भी शोक व्यक्त किया. सिंडिकेट सदस्य डॉ संजीव कुमार सिंह, डॉ हरपाल कौर, डॉ गुरुदेव पोद्दार, डीएसडब्ल्यू डॉ उपेंद्र साह, प्रोक्टर डॉ विलक्षण रविदास, सीसीडीसी डॉ अरुण कुमार मिश्र, कुलसचिव डॉ गुलाम मुस्तफा, विकास पदाधिकारी डॉ इकबाल अहमद ने भी शोक व्यक्त किया.