भागलपुर : शहर में स्थित भागलपुर संग्रहालय-सह अंग सांस्कृतिक केंद्र बुरी दशा में है. लाखों रुपये की लागत से बने शीशे व लक ड़ी के डिस्प्ले बॉक्स कबाड़ के रूप में सड़ने के लिए फेंक दिया गया है. संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र पर दूसरे विभाग का भी कब्जा है. संग्रहालय में रखी संग्रहित मूíतयों एवं पुरातात्विक चीजों को देखने के लिए आनेवाले लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.
कला संस्कृति एवं युवा विभाग भागलपुर द्वारा निर्मित भागलपुर संग्रहालय व अंग सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन बिहार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी द्वारा 22 फरवरी 2006 में किया गया था. अपनी स्थापना के नौ साल में ही यह संग्रहालय कबाड़खाना में तब्दील हो चुका है. यहां क्यूरेटर पद पर किसी की नियुक्ति नहीं होने के कारण इस संग्रहालय का प्रभार नवादा संग्रहालय के क्यूरेटर को दिया गया है.
रिटायर लिपिक ने लगा दिया है ताला : संग्रहालय के कार्यालय में ताला लगा कर इसकी चाबी लिपिक ने अपने पास रख ली है. 31 जुलाई को रिटायर होने के बाद भी उक्त चाबी लिपिक के पास ही है. पास रखे हुए हैं.
बहुमूल्य मूर्तियां ताले में : बीते दो साल से संग्रहालय के तीन गैलरी(बड़ा कमरा) में रखी बहुमूल्य दर्शनीय मूर्तियां व पुरातात्विक अवशेष लोग नहीं देख पा रहे हैं. कारण इन गैलरी के दरवाजे पर ताला लटका है.
इन तालों की चाबी किसके पास है, यह किसी को नहीं पता है. मूर्तियों को लोगों को दिखाने के लिए लाखों रुपये की लागत से बना करीब एक दर्जन डिस्प्ले बॉक्स गैलरी के बाहर व संग्रहालय के पहले तल पर लावारिस की हालत में कबाड़ की तरह फेंक दिया गया है.
नाम संग्रहालय, काम हो रहा निर्वाचन का : संग्रहालय के भूतल (ग्राउंड फ्लोर) से लेकर प्रथम तल(फस्र्ट फ्लोर) पर निर्वाचन का काम हो रहा है. भूतल पर नाथनगर प्रखंड क्षेत्र में तैनात नीलेंद्र कापड़ी व शिशुपाल प्रसाद की देखरेख में वोटर आइकार्ड बनाने के लिए जरुरी प्रोफार्मा के कई बंडल व डीटीओ का चार बक्सा रखा हुआ है.
पहले तल पर डॉटा इंट्री ऑपरेटर, डॉटा इंट्री से लेकर पहचान पत्र बना रहे हैं. जांचने पर पता चला कि यह काम पिछले तीन साल से हो रहा है. यहां तक बीच-बीच में राशन बनाने का भी काम किया गया. प्रथम तल के एक कमरे में इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन रखा हुआ है. संग्रहालय की बिजली की वायरिंग इस कदर उखड़ा है कि इसके तार व पाइप हवा में झूल रहे हैं.
बोतलों में पेशाब हर कोना पीकदान
संग्रहालय में सफाई का आलम यह है कि यहां के शौचालय को देखकर यह लग रहा है कि जैसे इसकी कई माह से सफाई ही न किया गया हो. मूत्रलय में कई बोतलों में पेशाब भरा मिला. इसके अलावा इस भवन का हरेक कोने का उपयोग पान-पान मसाला आदि थूकने के लिए किया गया है.