भागलपुर: प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद रुश्तम उर्फ मीनू मियां को पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा टॉर्चर किये जाने के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी त्रिभुवन यादव ने मंगलवार को एक इंस्पेक्टर व दो थानेदारों को जेल भेज दिया. बता दें कि इंस्पेक्टर कुमोद कुमार व थानेदार संजय विश्वास तथा संतोष शर्मा ने मंगलवार को सीजेएम कोर्ट […]
भागलपुर: प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद रुश्तम उर्फ मीनू मियां को पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा टॉर्चर किये जाने के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी त्रिभुवन यादव ने मंगलवार को एक इंस्पेक्टर व दो थानेदारों को जेल भेज दिया. बता दें कि इंस्पेक्टर कुमोद कुमार व थानेदार संजय विश्वास तथा संतोष शर्मा ने मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया और कोर्ट से जमानत की गुहार लगायी थी. जमानत के पक्ष में अधिवक्ता विरेश मिश्र ने बहस में भाग लिया.
इसका विरोध मोहम्मद रुश्तम के अधिवक्ता अभय कांत झा, मार्टिन लाल व राजीव कुमार ईश्वर ने किया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद सीजेएम की अदालत ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच तीनों को कैंप जेल भेजा गया. वर्तमान में इंस्पेक्टर कुमोद कुमार कैमूर में, दारोगा संजय विश्वास जमुई के चंद्रदीप थाना और दारोगा संतोष शर्मा आदमपुर थाना (भागलपुर) में पदस्थापित थे.
क्या है मामला : दो मई 2012 को फल व्यवसायी विश्वनाथ गुप्ता की हत्या हुई थी. खिलाफत नगर (शाहजंगी) निवासी प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद रुश्तम उर्फ मीनू मियां का आरोप है कि इस हत्या को लेकर मिस्टर मियां ने धोखे से सात सितंबर 2012 को उसे कोतवाली थाना बुलाया. वहां तत्कालीन कोतवाली इंस्पेक्टर कुमोद कुमार ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद पुलिस हिरासत में उससे विश्वनाथ गुप्ता की हत्या के मामले में पूछताछ की गयी.
इस क्रम में तत्कालीन इंस्पेक्टर कुमोद कुमार, तत्कालीन तातारपुर थानाध्यक्ष संजय विश्वास व तत्कालीन आदमपुर थानाध्यक्ष संतोष कुमार ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया. आरोप के अनुसार पूछताछ के दौरान उसके मलद्वार में पेट्रोल भी डाला गया. इसके बाद उसको सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया. वहां उसने अपने शरीर के जख्म दिखाते हुए कोर्ट से मेडिकल करवाने की मांग की. इस पर कोर्ट ने जेल में तैनात चिकित्सक से मीनू मियां का मेडिकल करवाने का निर्देश दिया.
जेल में हुए चिकित्सीय परीक्षण में मीनू मियां के मलद्वार सहित कई जगहों पर जख्म की रिपोर्ट दी गयी. इसके बाद कोर्ट में मीनू मियां के परिजनों ने मामले में सीजेएम कोर्ट में शिकायतवाद दायर किया. इसमें मीनू मियां ने आरोप लगाया कि तत्कालीन कोतवाली इंस्पेक्टर ने उससे दो लाख रुपये की मांग की थी. उसने 50 हजार रुपये दे दिये और कुछ दिनों बाद डेढ़ लाख रुपये देने की बात कही थी, लेकिन वह शेष राशि नहीं दे पाया. इसके बाद पुलिस ने उसे थाना बुलाया. सीजेएम ने मीनू मियां के शिकायत वाद पर संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू कर दी. इसके बाद कोतवाली इंस्पेक्टर कुमोद कुमार पटना हाइकोर्ट चले गये. वहां कोर्ट ने सीजेएम के आदेश को यथावत रखा. इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट गये, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली.
एक घंटे चली जिरह
सीजेएम कोर्ट में मंगलवार को एक घंटा जिरह चली. जिरह एक बजे के बाद शुरू हुई और दोपहर 2.15 मिनट पर सीजेएम ने जमानत की याचिका खारिज करने का आदेश दिया. इसके बाद तीनों आरोपी इंस्पेक्टर व थानेदारों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में कैंप जेल भेज दिया गया. इसी मामले में पिछले नौ माह से मिस्टर मियां उर्फ मिस्टर खां कैंप जेल में हैं. मिस्टर खां की जमानत पर पटना हाइकोर्ट में मामला विचाराधीन है.