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सात साल में 62 करोड़ खर्च, सड़कों की हालत पहले से भी हो गयी बदतर

भागलपुर: सड़कों का बनना, फिर टूटना और इसे फिर से बनाने का सिलसिला पिछले सात साल से लगातार चल रहा है. इन सात सालों में पथ निर्माण विभाग ने शहर की प्रमुख सड़कों के निर्माण पर 62 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. लेकिन हर मरम्मत के बाद सड़कों की स्थिति सुधरने की बजाय बदतर होती […]

भागलपुर: सड़कों का बनना, फिर टूटना और इसे फिर से बनाने का सिलसिला पिछले सात साल से लगातार चल रहा है. इन सात सालों में पथ निर्माण विभाग ने शहर की प्रमुख सड़कों के निर्माण पर 62 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. लेकिन हर मरम्मत के बाद सड़कों की स्थिति सुधरने की बजाय बदतर होती चली गयी.

अन्य साल की अपेक्षा इस साल सड़कों की हालत सबसे ज्यादा खराब रही है. पिछले साल ही सड़कों के निर्माण पर विभाग ने 30 करोड़ रुपये तक खर्च किया गया है. फिर भी शहर के लोगों को विशाल गड्ढों का सामना करना पड़ रहा है. इन गड्ढों के कारण सबसे ज्यादा मौतें शहर होकर गुजरी एनएच 80 सड़क पर हुई है.

रखरखाव के अभाव में बेदम हुआ लोहिया पुल : रखरखाव के अभाव में लोहिया पुल बेदम हो गया है. इसका रेलिंग टूट चुका है. सड़कों पर गड्ढे बन गये हैं, जिससे निकला नुकीले छड़ से हर समय जान का खतरा बना रहता है. पुल का फुटपाथ कई जगह ध्वस्त हो गया है. इसके बावजूद राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, भागलपुर के अभियंता बेफिक्र हैं. विभाग ने निर्माण के बाद से अबतक मेंटेनेंस पर फूटी कौड़ी तक खर्च नहीं किया है. पिछले साल भर से पुल का ज्वाइंट एक्सपेंशन टूटा पड़ा है. उस वक्त ज्वाइंट एक्सपेंशन बदलने की बजाय विभाग ने मेटेरियल डाल कर गेपिंग भर दिया था.

अब यह स्थिति है कि मेटेरियल निकल गया है और फिर से गेपिंग दिखने लगा है. इधर, तत्कालीन चीफ इंजीनियर केदार बैठा ने विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर को निर्देश दिया था कि रखरखाव कार्य को लेकर डीपीआर भेजे, ताकि स्वीकृत करने के बाद रखरखाव कार्य से लोहिया पुल की स्थिति में सुधार हो जाये. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण न तो डीपीआर बन सका है और न ही रखरखाव का काम हुआ.

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