– सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना गुलाम सिमनानी अशरफी ने बताया रोजा का महत्वफोटो नंबर: आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुररोजे का असली मकसद हमारे अंदर खौफ, सब्र, हमदर्दी की भावना पैदा करना है. असल रोजा यह है कि जुबान बुराई से रुक जाये, कान दूसरे की बुराई सुनने से रुक जाये, आंख बुरी चीजों को न देखे, हाथ जुल्मों-ज्यादती से रुक जाये व पैर पाप की तरफ चलने से इनकार करने लगे. यह बातें सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना गुलाम सिमनानी अशरफी ने आखिरी अशरा के दौरान रोजा के महत्व पर चर्चा करते हुए कही. उन्होंने कहा कि गलती भूल-चूक इनसानी फितरत है. यदि रोजेदार भूल-चूक से कुछ खा व पी ले तो रोजा नहीं टूटता. अमीरी व गरीबी की खाई को मिटाता है रोजाउन्होंने कहा कि रोजा मालदारों और अमीरों को एहसास दिलाता है कि भूखे रहने में कितनी तकलीफ होती है. प्यास की तकलीफ कैसी होती है. जब रोजेदार रोजा रखता है तो उसे दूसरे की मजबूरी का एहसास होता है. तब उसके अंदर नेकी करने की भावना पैदा होती है. रोजा का एक मकसद यह भी है कि जिंदगी का सिस्टम बदल जाये और 24 घंटे में एक वक्त खाये और अपनी कमाई से बचे पैसे से दूसरे भाई के घर अच्छे सामान भेजें. यतीमों का ख्याल रखें, विधवा की मदद करें और जकात निकालें. जकात अर्थात अपनी कमाई का ढ़ाई प्रतिशत हिस्सा बचा कर रखें और जरूरतमंदों के बीच बांटें.
हमदर्दी की भावना पैदा करता है रोजा
– सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना गुलाम सिमनानी अशरफी ने बताया रोजा का महत्वफोटो नंबर: आशुतोष जीसंवाददाता, भागलपुररोजे का असली मकसद हमारे अंदर खौफ, सब्र, हमदर्दी की भावना पैदा करना है. असल रोजा यह है कि जुबान बुराई से रुक जाये, कान दूसरे की बुराई सुनने से रुक जाये, आंख बुरी चीजों को न […]
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