– किसी भी सरकारी पत्र के लिए डाटा ऑपरेटर पर ही आश्रित रहते हैं अधिकारीवरीय संवाददाता भागलपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही डिजिटल इंडिया की बात करते हों पर अभी भी स्वास्थ्य विभाग के कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता है. इसके लिए वह कार्यालय में मौजूद डाटा ऑपरेटर पर ही आश्रित हैं. यही हाल कर्मचारियों का भी है. जो पुराने कर्मचारी हैं उन्हें कंप्यूटर, इंटरनेट की कोई जानकारी नहीं है. सिविल सर्जन कार्यालय में प्रधान लिपिक, कार्यालय लिपिक, दवा स्टोर प्रभारी समेत अन्य विभागों में कंप्यूटर की व्यवस्था नहीं है. हैरानी की बात तो यह है कि ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय भी लालटेन युग में ही चल रहा है. ड्रग लाइसेंसिंग ऑथरिटी कार्यालय में भी कंप्यूटर की कोई सुविधा नहीं है. अगर यहां यह सुविधा हो भी जाये तो एक ऑपरेटर रखना पड़ेगा. जिला फाइलेरिया कार्यालय, जिला प्रतिरक्षण कार्यालय एवं एसीएमओ के साथ-साथ सिविल सर्जन डॉ शोभा सिन्हा खुद भी कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं हैं. नतीजतन इन अधिकारियों के सामने कंप्यूटर नहीं रहता है. इससे कई तरह की परेशानियां होती हैं.सीएस कार्यालय सात कर्मचारी – कंप्यूटर का अभाव, जानकारी भी नहीं डाटा ऑपरेटर – एक. कार्यालय का पूरा भार ऑपरेटर पर एसीएमओ कार्यालय – छह कर्मचारी, एक के पास कंप्यूटर जिला प्रतिरक्षण कार्यालय – दो कर्मचारी, एक कंप्यूटर जिला फाइलेरिया कार्यालय -10 कर्मचारी, कंप्यूटर नहीं जिला मलेरिया कार्यालय – 08 कर्मचारी, कंप्यूटर का काम जिला स्वास्थ्य समिति से जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय – छह कर्मचारी, कंप्यूटर नहीं
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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं हैं कंप्यूटर फ्रेंडली
– किसी भी सरकारी पत्र के लिए डाटा ऑपरेटर पर ही आश्रित रहते हैं अधिकारीवरीय संवाददाता भागलपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही डिजिटल इंडिया की बात करते हों पर अभी भी स्वास्थ्य विभाग के कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता है. इसके लिए वह कार्यालय में मौजूद डाटा ऑपरेटर पर ही […]
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