जेएलएनएमसीएच में इनफ्लुएंजा से बचाव पर सेमिनार का आयोजन वरीय संवाददाता, भागलपुर जेएलएनएमसीएच के स्नातकोत्तर विभाग के डॉ(प्रो) आरके सिन्हा ने कहा कि देश में सर्दी व खांसी के 20 से 30 फीसदी बच्चे इनफ्लुएंजा से ग्रसित हैं. यह बीमारी बारिश व जाड़े में अधिक होती है. वह शनिवार को जेएलएनएमसीएच में आयोजित इनफ्लुएंजा से बचाव पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इनफ्लुएंजा के संक्रमण से प्रति वर्ष 1,11, 500 बच्चों की मौत होती है, इसमें 99 फीसदी बच्चे विकसित देश के होते हैं. कमजोर बच्चे, जन्मजात हृदय रोग से पीडि़त, दमा, खून की कमी, किडनी तथा लीवर बीमारी से ग्रसित बच्चे इनफ्लुएंजा बीमारी से दम तोड़ देते हैं. उन्हें बचाने के लिए प्रति वर्ष दो वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चों में नाक के द्वारा वैक्सीन का वर्ष में एक बार छिड़काव किया जाता है, जिससे बच्चे को मरने से बचाया जा सकता है. यह पूर्व में दी जानेवाली दो खुराक की सूई से ज्यादा असर करता है. स्नातकोत्तर छात्रा डॉ अंकिता श्रीवास्तव ने इनफ्लुएंजा बीमारी के लक्षण व इसके इलाज की जानकारी दी. मौके पर डॉ केके सिन्हा, डॉ खलील अहमद, डॉ राजीव कुमार, डॉ राकेश कुमार सहित स्नातक व स्नातकोत्तर छात्र उपस्थित थे.
देश में सर्दी-खांसी से 30 फीसदी बच्चे इनफ्लुएंजा से ग्रसित
जेएलएनएमसीएच में इनफ्लुएंजा से बचाव पर सेमिनार का आयोजन वरीय संवाददाता, भागलपुर जेएलएनएमसीएच के स्नातकोत्तर विभाग के डॉ(प्रो) आरके सिन्हा ने कहा कि देश में सर्दी व खांसी के 20 से 30 फीसदी बच्चे इनफ्लुएंजा से ग्रसित हैं. यह बीमारी बारिश व जाड़े में अधिक होती है. वह शनिवार को जेएलएनएमसीएच में आयोजित इनफ्लुएंजा से […]
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