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रमजान में ही नाजिल हुई थी कुरान-ए-पाक

भागलपुर : रमजानुल मुबारक के महीना में अल्लाह ने कुरान-ए-पाक नाजिल किया. अल्लाह फरमाते हैं कि रमजान का ये माह वो मुबारक महीना है जिसकी एक पाक रात में कुरान-ए-पाक नाजिल की गयी, जो तमाम इनसानियत के लिए एक रहनुमा बन कर आयी है. कुरान ही में अल्लाह फरमाते हैं कि इस पाक किताब से […]

भागलपुर : रमजानुल मुबारक के महीना में अल्लाह ने कुरान-ए-पाक नाजिल किया. अल्लाह फरमाते हैं कि रमजान का ये माह वो मुबारक महीना है जिसकी एक पाक रात में कुरान-ए-पाक नाजिल की गयी, जो तमाम इनसानियत के लिए एक रहनुमा बन कर आयी है.
कुरान ही में अल्लाह फरमाते हैं कि इस पाक किताब से ही मुत्तकी (अल्लाह वाले लोग) हिदायत हासिल कर सकते हैं. रमजान का पहला अशरा अब जूदा होने वाला है और दूसरा अशरा (10 दिन) बरकतों का आने वाला है. रमजान का पूरा महीना इनसान की तरबीयत व इसलाह के लिए अता किया गया है. उक्त बातें खानकाह-ए-पीर दमड़िया के साहिबे सज्जादा सैयद शाह फकरे आलम हसन ने कही. उन्होंने कहा कि रमजान माह का सबसे बड़ा अमल रोजा है.
इसके बारे में अल्लाह का इरशाद है कि हर ईमानवालों के ऊपर रोजे फर्ज किये गये हैं, इसी तरह जिस तरह तुमसे पहले उम्मतियों पर रोजे फर्ज किये गये थे, ताकि रोजा रख कर परहेजगार बन सके. नतीजतन हर गलत कामों व बुराइयों से व्यक्ति बच सकेगा. रोजे का अहम मकसद यही है.

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