30.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पाण्डुलिपियों के उद्भव, विकास पर डाला प्रकाश

भागलपुर. तिलकामांझी विवि में चल रही 21 दिवसीय राष्ट्रीय पाण्डुलिपि कार्यशाला के 20 वें दिन कुलानुशासक डॉ विलक्ष्ण रविदास ने वर्ग का आरंभ करते हुए लिपियों के उद्भव, विकास व प्रकार के बारे में प्रतिभागियों को बताया. भोजनोपरांत ओडिशा (पुरी) के संस्कृत रोचक व्याख्यान में बताया कि पाण्डुलिपि शब्द का पहली बार प्रयोग नारद स्मृति […]

भागलपुर. तिलकामांझी विवि में चल रही 21 दिवसीय राष्ट्रीय पाण्डुलिपि कार्यशाला के 20 वें दिन कुलानुशासक डॉ विलक्ष्ण रविदास ने वर्ग का आरंभ करते हुए लिपियों के उद्भव, विकास व प्रकार के बारे में प्रतिभागियों को बताया. भोजनोपरांत ओडिशा (पुरी) के संस्कृत रोचक व्याख्यान में बताया कि पाण्डुलिपि शब्द का पहली बार प्रयोग नारद स्मृति के चौथे आख्यान में किया गया है. पाण्डुलिपि विज्ञान में परिभाषिक शब्दावली के बारे में बताये गये लेखन, अंकन वर्णन तथा गुणन बीच अंतर को बताया गया है. उन्होंने श्रुति, लिंग, वाक्य, प्रकरण स्थान समाख्यान के बारे में व्याख्यान दिया. बताया कि धर्म ग्रंथों को विभिन्न काल में विभिन्न नामों से जाना गया है, जैसे शंकराचार्य के पूर्व गीता को भागवत गीता तथा उसके पूर्व गीतोपनिषद के नाम से जाना जाता था. प्रतिकुलपति ने प्रो वीके सिंह, संगठन सचिव वसंत कुमार चौधरी के साथ वर्ग का औचक निरीक्षण किया. कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागी राजकुमार राजा, नूतन, सुमन, संतोष, शिल्पा, प्रगति, आकांक्षा, विकास, मनोज राघव, विश्वाजित, अमिताभ, डॉ रजनीश त्रिवेदी, डॉ केकेे मंडल, अभिनव अर्चना, डॉ सतीश त्यागी ने खुशी जाहिर की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें