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गंगा दशहरा आज, निर्जला एकादशी कल

संवाददाता,भागलपुरभारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखने वाला गंगा दशहरा 28 मई को है. इस दिन मां गंगे का धरती पर अवतरण हुआ था. इसे लेकर शहर के विभिन्न गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. इस दिन गंगा में स्नान, तत्पश्चात दान आदि का विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि इस […]

संवाददाता,भागलपुरभारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखने वाला गंगा दशहरा 28 मई को है. इस दिन मां गंगे का धरती पर अवतरण हुआ था. इसे लेकर शहर के विभिन्न गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. इस दिन गंगा में स्नान, तत्पश्चात दान आदि का विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि इस दिन गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आयी थी. इसलिए यह अत्यंत पुण्यकारी पर्व माना जाता है. इस दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान व पूजन तथा व्रत से 10 प्रकार के पाप (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन शारीरिक) का नाश हो जाता है. इन दस पापों का हरण होने से ही इसका नाम गंगा दशहरा पड़ा है. गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस दिन स्नान के बाद गंगा व शिव का धूप, दीप, गंध, पुष्प से पूजन अर्चन करके रात्रि जागरण करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है.ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं. इस वर्ष यह पवित्र पर्व 29 मई को मनाया जायेगा. निर्जला एकादशी का शास्त्रों में मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है. निर्जला अर्थात जल के बिना रहने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. यह एक कठिन व्रत हैं, लेकिन विधि पूर्वक इस व्रत को करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है. दिनभर बिना अन्न जल ग्रहण किये भगवान विष्णु का पूजन का नियम शास्त्रों में बताया गया है. इस एकादशी को करने से वर्ष की 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है. इस व्रत का पारायण दूसरे दिन द्वादशी तिथि में भगवान विष्णु के पूजन के पश्चात करना चाहिए.

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