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परीक्षा विभाग ने मजाक बना रखा है क्या

भागलपुर. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बुधवार को भी पार्ट थ्री की परीक्षा में छात्रों को गलत प्रश्नपत्र थमा दिया गया. कॉरपोरेट ऑनर्स के फाइनांस पेपर की परीक्षा थी. छात्रों को जो प्रश्नपत्र दिये गये थे, उसके पहले पेज पर फाइनांस पेपर ही लिखा था, लेकिन प्रश्न ऑडिट पेपर के थे. इससे पहले सोमवार […]

भागलपुर. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बुधवार को भी पार्ट थ्री की परीक्षा में छात्रों को गलत प्रश्नपत्र थमा दिया गया. कॉरपोरेट ऑनर्स के फाइनांस पेपर की परीक्षा थी. छात्रों को जो प्रश्नपत्र दिये गये थे, उसके पहले पेज पर फाइनांस पेपर ही लिखा था, लेकिन प्रश्न ऑडिट पेपर के थे. इससे पहले सोमवार को छात्रों ने पार्ट थ्री गणित की परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों को सिलेबस से बाहर का बताते हुए परीक्षा का बहिष्कार कर दिया था. इसके बाद विवि प्रशासन ने दोबारा परीक्षा लेने की घोषणा की. मारवाड़ी कॉलेज के बायोटेक पार्ट वन के छात्रों का कहना है कि परीक्षा में उनकी क्लास के प्राय: सभी छात्र-छात्राओं को किसी न किसी तीन विषय की परीक्षा में अनुपस्थित बता दिया गया है. पीजी हिंदी के तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में 87 छात्र-छात्राओं में 49 विद्यार्थी को एक ही पेपर में प्रोमोट कर दिया गया. अब सवाल उठता है कि परीक्षा विभाग में क्वेश्चन सेट कौन करते हैं. छपाई कौन करता है. क्या उन्हें यह मालूम नहीं होता कि छात्रों को कहां से प्रश्न पूछना है. क्या छपाई करनेवालों को यह जानकारी नहीं दी जाती कि क्वेश्चन का मैटर क्या है. इतना कुछ होने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.सबसे बड़ा सवाल : छात्र अगर प्रश्न का जवाब नहीं दें तो वह फेल कर दिये जाते हैं. लेकिन क्वेश्चन सेट करनेवाले गलत प्रश्न पत्र तैयार करें तो उन पर क्या कार्रवाई होती है. क्या उनके लिए सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए.

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