भागलपुर: आनंद राम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर में रविवार को स्वामी विवेकानद सार्ध शती समारोह समिति की ओर से आयोजित संवर्धिनी आयाम विषयक संगोष्ठी का समापन हुआ. इस मौके पर मुख्य वक्ता विजय वर्मा ने महिला शक्ति को समाज व राष्ट्र के विकास में समान रूप से सहयोगी बनाने पर बल दिया. स्वामी विवेकानंद की पंक्तियों को उधृत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस देश की नारियों से वही कहूंगा जो पुरुषों से कहता हूं.
भारत और भारतीय धर्म में विश्वास करो. मारवाड़ी महाविद्यालय की प्राध्यापक डा प्रतिभा राजहंस ने कहा कि आज नारी सशक्तीकरण की आवश्यकता नहीं, नारी पहले से ही सशक्त एवं सक्षम है और वर्तमान में भी. आवश्यकता एक नयी दिशा में कार्य करने की है. उन्होंने कहा कि नारी शक्ति स्वरूपा माता सीता, यशोदा माता की तरह है. रुचिका अग्रवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद में मातृ शक्ति के प्रति अगाध और असीम श्रद्धा थी. प्रो मीरा सिंह ने माता सीता को प्रेरणा मान कर कहा कि पुत्रों को संस्कारवान बनाने का श्रेय मातृशक्ति में है. डा कामिनी शुक्ला ने कहा कि स्वामी जी से प्रेरित होकर ही आयरिश महिला एलिजाबेथ ने भारत आकर उनके लिए जीवन समर्पित कर दिया और भगिनी निवेदिता ने नाम से मशहूर हुई. उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने हमें बताया है कि किसी देश की अवस्था का आकलन देश की नारी की स्थिति से ही किया जाता है. अधिवक्ता नीना सिन्हा ने अपनी कविता के माध्यम से नारी की सबलता पर बात की. अनुपमा मिश्रा ने कहा वर्तमान समय में स्वामी जी के विचार प्रासंगिक व अनुकरणीय हैं. उन्होंने कहा कि नारी शक्ति से ही सृष्टि संभव है. डा सुनीता कुमारी आदि ने विचार व्यक्त किये. जिला संयोजक अजीत कुमार घोष ने विषय प्रवेश कराया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ विभा पांडेय ने की. मंच का संचालन साधना झा ने किया. कार्यक्रम में लवली, करुणा गुप्ता, प्रीति, रितिका, ललित सिन्हा, उत्तम, रघुनंदन, नीरज शुक्ला, पवन गुप्ता, महादेव, आशीष आदि का विशेष योगदान रहा.