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होलिका दहन से दूर होगा दारिद्रय व विकार

संवाददाताभागलपुर : फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन मनाया जाता है. लोग उसकी ज्वाला देखने के बाद ही भोजन करते हैं. इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 4 मार्च को शाम 8:33 बजे से शुरू होकर 5 मार्च को रात्रि 10:38 बजे तक रहेगी. लेकिन होलिका दहन में पूर्वा विधा, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि ही ली […]

संवाददाताभागलपुर : फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन मनाया जाता है. लोग उसकी ज्वाला देखने के बाद ही भोजन करते हैं. इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 4 मार्च को शाम 8:33 बजे से शुरू होकर 5 मार्च को रात्रि 10:38 बजे तक रहेगी. लेकिन होलिका दहन में पूर्वा विधा, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि ही ली जाती है. चूंकि होलिका दहन में प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित मुहूर्त ही ग्रहण किया जाता है, जो 5 मार्च को प्राप्त हो रही है. अत: इस वर्ष इसी दिन होलिका दहन होगा.कैसे होता है होलिका दहन :होलिका पर्व की तैयारी वैसे तो माघ की पूर्णिमा तिथि को दंड रोपण के साथ ही होती है, जहां बाद में लकडि़यां आदि जमा की जाती हैं. इसमें ध्यान रखा जाता है कि यह स्थान निवास स्थान से पश्चिम दिशा में ही हो. इसके पश्चात फाल्गुन पूर्णिमा को उस स्थान को जल से शुद्ध कर लोग वहां घर से लायी लकडि़यां, उपले, कांटे आदि स्थापित कर प्रदोष काल में उसकी पूजा करने के बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से घर के विकार एवं दारिद्रय आदि का शमन होता है.नव धान्य अर्पित करने की है परंपरा : होलिका की ज्वाला में कई स्थान पर नव धान्य (जौ, गेहूं, चना आदि) डालने की परंपरा है. मान्यता है कि उक्त ज्वाला में पके नवान्न को ग्रहण करने से शरीर के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं.होलिका दहन का समयपंडित दयानंद मिश्र ने बताया कि गुरुवार रात्रि 9:21 के बाद भद्रा काल खत्म होगा. होलिका दहन के लिए सामान्यत: रात्रि 9:30 से रात्रि 10:30 तक का समय उपयुक्त है.

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