इस कारण व्यवसायी ने रेलवे कोरियर द्वारा माल ढुलाई शुरू कर दी है. जैसे ट्रांसपोर्ट से सूत की गांठ 1300 रुपये चार्ज करते हैं, जबकि रेलवे से मंगाने में 900 रुपये लगता है. किराना कारोबारी अजीत जैन का कहना है कि अधिकांश खाद्यान्न उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से ट्रांसपोर्ट से आते हैं. ट्रांसपोर्टिग चार्ज अब तक नहीं घटा है. इससे यहां के महंगाई जस की तस है.
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मुनाफे में ट्रांसपोर्टर, महंगाई बरकरार
भागलपुर: डीजल के भाव में लगातार आ रही गिरावट के बावजूद अब तक ट्रांसपोर्टिग चार्ज जस की तस है. इससे बाजार में महंगाई बरकरार है. व्यवसायियों का कहना है डीजल के भाव घटने का फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है. इधर थोक कारोबारी का कहना है ऑटो हो या बस सभी का बढ़ा हुआ ही […]
भागलपुर: डीजल के भाव में लगातार आ रही गिरावट के बावजूद अब तक ट्रांसपोर्टिग चार्ज जस की तस है. इससे बाजार में महंगाई बरकरार है. व्यवसायियों का कहना है डीजल के भाव घटने का फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है. इधर थोक कारोबारी का कहना है ऑटो हो या बस सभी का बढ़ा हुआ ही किराया है. इससे 30 फीसदी तक कारोबार प्रभावित होता है.
ट्रेन की ओर रुख कर रहे हैं कारोबारी : टेक्सटाइल चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सह थोक कपड़ा कारोबारी श्रवण बाजोरिया का कहना है कि डीजल का दाम बढ़ने के नाम पर हरेक ट्रांसपोर्टर ने भाड़े में बढ़ोतरी की, लेकिन लगातार डीजल की कीमत में गिरावट आने पर भाड़ा नहीं घटाया. इसे लेकर व्यवसायियों में काफी आक्रोश है. दो वर्ष पहले से अब तक में 20 फीसदी बढ़ोतरी की गयी है.
इसी कारण किसी भी वस्तु के भाव नहीं घट रहे हैं और महंगाई बरकरार है. ग्राहकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
विभिन्न स्थानों का ट्रांसपोर्टिग चार्ज : किराया एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज जैन बैताला ने बताया कि दो वर्ष पहले डीजल के भाव बढ़ने पर लोकल ट्रांसपोर्टिग चार्ज बढ़ाया गया था. प्रति बोरी एक क्विंटल का चार्ज पांच से 10 रुपये तक बढ़ाया गया था. वहीं कपड़े के गट्ठर पर ट्रांसपोर्टिग चार्ज खाद्यान्न से 10 रुपये अधिक लगते हैं.
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