तभी भीड़ को चीर कर एक युवक आता है और उसकी चुनौती स्वीकार करता है यह युवक था गोसाईंदासपुर का फोटो पहलवान, दर्शक दीर्घा में जोश चरम पर. फोटो के हर दावं के बाद प्रतिद्वंद्वी का पीछे हट जाना. समय समाप्त, मुकाबला बराबरी पर रहा. यह तो फोटो की पहलवानी का एक दृश्य है. अपनी पहलवानी के दम पर हजारों की भीड़ इकट्ठा करने की क्षमता है फोटो में. विक्रमशिला महोत्सव सहित पूर्व बिहार की दर्जनों दंगल प्रतियोगिता में सूबे भर के पहलवानों को धूल चटाने वाला ‘फोटो पहलवान’ किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पांच फुट आठ इंच का कद और 92 किलोग्राम वजन वाले फोटो भागलपुर, पूर्णिया, बांका, मुंगेर सहित झारखंड में भी इलाके का परचम लहरा चुके हैं.
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सूबे का खली चढ़ रहा व्यवस्था की बलि
भागलपुर: स्थान नाथनगर प्रखंड का गांव गोलाहू, शोर मचाती हजारों की भीड़, बीच में दो पहलवान जोर आजमाइश करते हुए, मौका था वसंतोत्सव पर दंगल प्रतियोगिता का. बिहार, झारखंड, यूपी, दिल्ली के कई दर्जन पहलवान. कई मुकाबलों के बाद शीर्ष पर चल रहे दिल्ली के अशोक यादव का एलान- है कोई माई का लाल, बिहार […]
भागलपुर: स्थान नाथनगर प्रखंड का गांव गोलाहू, शोर मचाती हजारों की भीड़, बीच में दो पहलवान जोर आजमाइश करते हुए, मौका था वसंतोत्सव पर दंगल प्रतियोगिता का. बिहार, झारखंड, यूपी, दिल्ली के कई दर्जन पहलवान. कई मुकाबलों के बाद शीर्ष पर चल रहे दिल्ली के अशोक यादव का एलान- है कोई माई का लाल, बिहार में, जो मुङो पटखनी दे सके.
एक सरकारी नौकरी हो जाती
फोटो कभी सोचता है कि 13 वर्ष से ज्यादा समय देने के बावजूद कुश्ती से हासिल क्या हुआ. दंगलों में मिली वाहवाही, दो-चार-दस मेडल, शील्ड और प्रमाण पत्र से गृहस्थी नहीं चलती. फोटो को आज भी इस बात का अफसोस है कि जब घोघा में पटना के कौशल पहलवान को पटखनी देने के बाद उससे अधिकारी व एक नेता ने पूछा- क्या चाहिए, पहलवान? तब वह अपने लिए एक नौकरी क्यों नहीं मांग पाया. तीन पीढ़ियों से चली आ री कुश्ती की परंपरा को जीवित रखने के लिए फोटो गांव के काली मंदिर प्रांगण में बंटू, चंदन, ललन, सुनील,चंदन, मिथुन को नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं.
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