भागलपुर. बरहपुरा का रहने वाला शहबाज जाली स्टांप (नन जुडिशियल) के कारोबार का मास्टर माइंड है. वह शमीम को रॉ मेटेरियल उपलब्ध कराता था. शमीम सिर्फ उसे प्रिंट करता था. यह खुलासा गिरफ्तार शमीम ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में किया है. उसने बताया कि शहबाज का तिलकामांझी में पैंट की दुकान है.
शमीम पहले महादेव सिनेमा के पास एक संस्थान में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करता था. वहीं से उसकी जान-पहचान शहबाज से हुई. दोनों में जब प्रगाढ़ दोस्ती हो गयी तो शहबाज ने शमीम के पास जाली स्टांप प्रिंट करने का प्रस्ताव रखा, जिसे शमीम ने स्वीकार कर लिया.
एक पीस पर 20 रुपये मिलते थे. शमीम के मुताबिक, एक पीस जाली स्टांप प्रिंट करने के एवज में उसे 20 रुपये मिलते थे. आर्डर के अनुसार वह स्टांप पेपर प्रिंट करता था. प्रिंट करने में प्रयोग होने वाले केमिकल, कलर, कागज आदि शहबाज उपलब्ध कराता था. जबकि कंप्यूटर और स्कैनर शमीम का अपना था. 2013 से शमीम जाली स्टांप पेपर छापने का कारोबार कर रहा है. तैयार जाली स्टांप को शहबाज ले लेता था. वह उसे कहां खपाता था, इसकी जानकारी शमीम को नहीं है. हालांकि शमीम ने बताया कि बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा का जाली स्टांप वह प्रिंट करके शहबाज को उपलब्ध कराता था. शमीम ने पुलिस के समक्ष और भी कई खुलासा किया है. पुलिस उस बिंदु पर जांच कर रही है.
पहले कूरियर का काम करता शमीम. पुलिस सूत्रों ने बताया कि शमीम पहले कूरियर का काम करता था. यानी छपे हुए जाली स्टांप को संबंधित स्थान पर पहुंचाता था. लेकिन उसे कंप्यूटर का ज्ञान था. इस कारण वह बहुत जल्द ही स्टांप प्रिंट करने के काम में जुट गया. इसमें शमीम को ज्यादा पैसे भी मिलते थे. बरहपुरा इलाके में 10 से ज्यादा युवक इस गोरखधंधे में हैं. ये चोरी छिपे जाली स्टांप पेपर प्रिंट करके बाजार में खपाते थे.
पहले भी आया था शहबाज का नाम. मई 2014 में तत्कालीन एएसपी हर किशोर राय के नेतृत्व में बरहपुरा में छापेमारी कर भारी मात्र में नन जुडिशियल स्टांप बरामद किया गया था. इस मामले में भी शहबाज का नाम आया था. पुलिस ने उसे पर आरोप-पत्र भी समर्पित किया है. लेकिन अब तक शहबाज की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है.