सरस्वती पूजा के लिए……………………………-रामजानकी मंदिर के पुजारी गोपाल गंधर्व मानते हैं, मां शारदे का आशीर्वाद है ये कलाफोटो : सुरेंद्रवरीय संवाददाता भागलपुरबूढ़ानाथ मंदिर के समीप बड़ी संगत पंचायती उदासी अखाड़ा स्थित रामजानकी मंदिर के एक कमरे में रखी एक चौकी पर आधे में घरेलू सामान और आधे में बिस्तर. चौकी के एक तरफ चापाकल, दूसरी ओर छोटी सी कोठरी में रसोई और सामने नाद में चारा खाती गाय और उसकी बछिया. इसी तंगहाल कमरे में फकीर की तरह जिंदगी जीनेवाले गोपाल गंधर्व को देख कोई यह नहीं कह सकता कि मंदिर के ये वही पुजारी हैं, जो पिछले 40 वर्षों से आकाशवाणी के जरिये लोगों को रेडियो पर मुरली की धुन सुनाते आ रहे हैं. गंधर्व बताते हैं कि यह कला उन्होंने किसी गुरु से नहीं सीखी. खुद से रियाज करते रहे और कुछ मुरलीवादकों के साथ खुद भी मुरली बजाते रहे. उनका दीपनगर में पुश्तैनी मकान था, जो बहुत पहले बिक गया और परिवार के सारे लोग बंगाल में जाकर बस गये. उन्हें भी भाइयों ने जाने को कहा, पर मंदिर के प्रति आस्था और मुरली के प्रति प्रेम ने उनके कदम रोक दिये. वर्ष 2000 में उन्हें अंग महोत्सव में दिनकर सम्मान से सम्मानित किया गया था. अब तक आकाशवाणी के द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में बड़े-बड़े नेता और कलाकारों के सामने वे मुरली पर लोक धुन, सुगम संगीत और लाइट क्लासिकल बजा चुके हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि गोपाल बाबा की मुरली सुनना अपनेआप में एक सुखद और अद्भुत एहसास है.
जिनकी मुरली की धुन खींच लाती है
सरस्वती पूजा के लिए……………………………-रामजानकी मंदिर के पुजारी गोपाल गंधर्व मानते हैं, मां शारदे का आशीर्वाद है ये कलाफोटो : सुरेंद्रवरीय संवाददाता भागलपुरबूढ़ानाथ मंदिर के समीप बड़ी संगत पंचायती उदासी अखाड़ा स्थित रामजानकी मंदिर के एक कमरे में रखी एक चौकी पर आधे में घरेलू सामान और आधे में बिस्तर. चौकी के एक तरफ चापाकल, दूसरी […]
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