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बिहार में नहीं बिकेगी आंध्र की मछली

भागलपुर: जल्द ही बिहार में आंध्र प्रदेश की मछली का बिकना बंद हो जायेगा. सरकार ने प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजना शुरू की है. पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बैद्यनाथ सहनी ने बताया कि प्रदेश में मत्स्य का उत्पादन बढ़ाने के लिए तालाब का निर्माण एवं जीर्णोद्धार […]

भागलपुर: जल्द ही बिहार में आंध्र प्रदेश की मछली का बिकना बंद हो जायेगा. सरकार ने प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजना शुरू की है. पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बैद्यनाथ सहनी ने बताया कि प्रदेश में मत्स्य का उत्पादन बढ़ाने के लिए तालाब का निर्माण एवं जीर्णोद्धार से लेकर हैचरी निर्माण पर विशेष अनुदान देने का निर्णय लिया गया है. मंगलवार को निषाद संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आये मंत्री श्री सहनी परिसदन में बातचीत के दौरान यह बातें कही.

पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि दिसंबर 2015 के बाद आंध्र प्रदेश की मछली की आवक प्रदेश में नहीं हो. इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से तालाब, हैचरी, नाव व जाल के निर्माण पर 80 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. यही नहीं मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर बिहार के 21-22 व दक्षिण बिहार के 4-5 जिलों को चिह्न्ति किया गया है. इन जिलों में एक एकड़ व उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सरकारी तालाबों को चिह्न्ति कर उसमें मछली उत्पादन किया जायेगा. ऐसे तालाबों का पहले दो लाख 89 हजार रुपये के प्राक्कलन से जीर्णोद्धार किया जायेगा.

इसमें तालाब के किनारे बोरिंग व डीजल इंजन की भी व्यवस्था की जायेगी, ताकि तालाबों का सही तरीके से रख-रखाव हो सके. यही नहीं अब सरकारी तालाबों की बंदोबस्ती एक रुपये के टोकन पर की जायेगी. यह बंदोबस्ती मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों व परंपरागत मछुआरों के नाम की जायेगी. यही नहीं मत्स्य योजना के तहत दलित व महादलितों को तालाब व हैचरी निर्माण के लिए 90 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जायेगा. बातचीत के दौरान उनके साथ बिहार निषाद संघ के अध्यक्ष रामनाथ प्रसाद निषाद, जदयू के जिला अध्यक्ष अजरुन प्रसाद साह, शबाना दाउद, राकेश कुमार ओझा, राजकुमार यादव आदि मौजूद थे.

समिति से हटेंगे अन्य जाति के लोग

मंत्री श्री सहनी ने बताया कि मत्स्यजीवी सहयोग समिति में अभी अन्य जाति के लोग भी शामिल हैं. नयी व्यवस्था के तहत समिति से अन्य जाति के लोग हटाये जायेंगे. केवल निषाद परिवार व पारंपरिक मछुआरे ही समिति में रहेंगे और उन्हें ही एक रुपये के टोकन पर तालाबों की बंदोबस्त दी जायेगी. मछुआरों को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अब मछुआरों का बीमा एक लाख रुपये से बढ़ा कर तीन लाख किया गया है. इसके लिए मछुआरों को प्रीमियम नहीं भरना होगा.

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