भागलपुर: रमजान का पाक महीना अपने साथ-साथ रहमत व बरकत और अल्लाह की बेशुमार नेमतों की बरसात करते हुए तमाम मुसलमानों पर जलवा गर है. रमजानुल मुबारक का दिन जिस तरह काबिले-ए-एहतमाम है, वहीं रमजानुल मुबारक की रात में भी बरकतें मौजूद है.
रमजान का महीना मुसलिम समाज का पाक महीना माना जाता है. इस महीने में जितनी भी इबादत की जाये, वह कम है. बंदों की इबादत से खुश होकर अल्लाह उनकी खिदमत व हिफाजत के लिए फरिश्तों को उनके पास भेज देते हैं.
उक्त बातें मदरसा जामिया शहबाजिया के हेड शिक्षक मौलाना फारूक आलम अशरफी ने कही. उन्होंने बताया कि पहला अशरा-ए-रहमत रुखसत होता जा रहा है. इस अशरे में अल्लाह की बारगाह में ये दुआ करना चाहिये कि अल्लाह मुङो बख्श दें, मुझ पर रहम व करम फरमा दे. बेशक तू तमाम रहम करने वालों में सबसे बेहतर है.