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सब सिखन को हुकुम है, गुरु मान्यो ग्रंथ

तस्वीर: मनोज – गुरु गोविंद सिंह की 348वीं जयंती मनायी – गुरुद्वारा रोड स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में आयोजन वरीय संवाददाता, भागलपुर गुरुद्वारा रोड स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरु गोविंद सिंह की 348 वीं जयंती मनायी गयी. इस दौरान कीर्तन जत्था के सदस्यों ने शबद कीर्तन किया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने गुरु गोविंद […]

तस्वीर: मनोज – गुरु गोविंद सिंह की 348वीं जयंती मनायी – गुरुद्वारा रोड स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में आयोजन वरीय संवाददाता, भागलपुर गुरुद्वारा रोड स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरु गोविंद सिंह की 348 वीं जयंती मनायी गयी. इस दौरान कीर्तन जत्था के सदस्यों ने शबद कीर्तन किया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला. रविवार को सुबह 10 बजे गुरुद्वारा में सुखमणी साहिब का पाठ शुरू हो गया. मुख्य वक्ता डॉ हरपाल कौर ने कहा कि सुधी 6 संवत् 1623 के मुताबिक 22 दिसंबर 1666 को पटना शहर मंे गोविंद राय का जन्म हुआ था.उस समय नौवें गुरु व पिता गुरु तेग बहादुर बंगाल भ्रमण पर थे. अमृत पाण करने के बाद वे खालसा बने तथा उनका नाम गुरु गोविंद सिंह पड़ा. नौवें वर्ष में गुरु गोविंद सिंह को गद्दी मिल गयी थी. उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह का जीवन पीडि़त लोगों की सहायता में व्यतीत हुआ. वे अत्याचार, अन्याय व सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़े. राष्ट्रीय एकता, धर्म निर्पेक्षता का भाव उन्होंने अपने प्रवचन के दौरान दिया. आखिरी वक्त में जब संगत ने उनसे अगले गुरु के बारे में पूछा, तो उन्होंने आह्वान किया कि सब सिखन को हुकुम है, गुरु मान्यो ग्रंथ. अर्थात उनके बाद सभी सिख समुदाय को ग्रंथ को ही गुरु मानने को कहा. मौके पर गुरुद्वारा प्रधान खेमचंद, सचिव सरदार त्रिलोचन सिंह, मनोज सिंह, रमेश सूरी, मंजीत सिंह सचदेवा, हरचरण सिंह भंडारी के अलावा इएनटी विशेषज्ञ डॉ एलके सहाय भी थे. – शब्द: 271, ऋषि कुमार

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