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पूजा का अर्थ पूर्णता को प्राप्त करना : स्वामी नंद महाराज

फोटो नंबर : आशुतोष जी-दिव्य चेतना सत्संग का समापन-सत्संग में जुटे सैकड़ों श्रद्धालुसंवाददाता, भागलपुरचुनिहारी टोला स्थित श्री राजस्थानी मैढ़ क्षत्रिय सभा भवन में रविवार को दिव्य चेतना सत्संग का समापन हुआ. सत्संग में भजन, प्रवचन, ध्यान, प्रसाद आदि कार्यक्रम हुआ. ज्ञान योग साधना केंद्र, पटना से पधारे धर्माचार्य स्वामी नंद महाराज ने प्रवचन देते हुए […]

फोटो नंबर : आशुतोष जी-दिव्य चेतना सत्संग का समापन-सत्संग में जुटे सैकड़ों श्रद्धालुसंवाददाता, भागलपुरचुनिहारी टोला स्थित श्री राजस्थानी मैढ़ क्षत्रिय सभा भवन में रविवार को दिव्य चेतना सत्संग का समापन हुआ. सत्संग में भजन, प्रवचन, ध्यान, प्रसाद आदि कार्यक्रम हुआ. ज्ञान योग साधना केंद्र, पटना से पधारे धर्माचार्य स्वामी नंद महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि पूजा का अर्थ होता है पूर्णता को को प्राप्त करना. पूजा का अर्थ होता है पुण्य इकट्ठा करना. जैसे-जैसे पुण्य इकट्ठा होते जाता है, वैसे-वैसे हम पूर्णता की तरफ बढ़ने लगते हैं. किसी एक बिंदु पर या किसी एक रूप पर या किसी एक विचार में मन की ठहरी हुई अवस्था से पुण्य इकट्ठा होता है. वह पूजा क्या, क्यों और कैसे की जानकारी देते हुए प्रवचन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पूजा को बेचने वाला व्यक्ति न तो कभी ज्ञान प्राप्त कर सकता है और न किसी को करा सकता है. ऐसा व्यक्ति एक दुकानदार बन कर ही रह जाता है. कभी भी गुरु नहीं बन सकता. मौके पर साहेबगंज के प्रभुनाथ यादव, उदय कांत राय, सुमेश शर्मा, बक्सर के धनंजय मिश्रा, जहानाबाद के रंजन, डॉ पीयूष, जवाहर राय, राजेंद्र प्रसाद वर्मा आदि उपस्थित थे.

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