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सब्जबाग देख नामांकन लेना कष्टप्रद

भागलपुर: राज्य के अन्य शहरों या दूसरे राज्यों के शिक्षण संस्थानों में नामांकन लेने के लिए अगर आप जा रहे हैं, तो थोड़ी देर रुकें. आजकल शहर के होटलों व किसी घर में तात्कालिक किराये पर कुछ शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधि डेरा डाले हैं. इनमें कई ऐसे प्रतिनिधि भी हैं, जिन्हें शिक्षण संस्थानों ने इस […]

भागलपुर: राज्य के अन्य शहरों या दूसरे राज्यों के शिक्षण संस्थानों में नामांकन लेने के लिए अगर आप जा रहे हैं, तो थोड़ी देर रुकें. आजकल शहर के होटलों व किसी घर में तात्कालिक किराये पर कुछ शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधि डेरा डाले हैं.

इनमें कई ऐसे प्रतिनिधि भी हैं, जिन्हें शिक्षण संस्थानों ने इस बात का टारगेट (लक्ष्य) दे रखा है कि वे इतनी संख्या में छात्रों का नामांकन करायेंगे. यह संख्या शहर के मुताबिक निर्धारित है. ऐसे प्रतिनिधि छात्रों को नामांकन कराने के लिए ढेर सारा सब्जबाग दिखाते हैं.अक्सर ऐसा होता है कि अभिभावक या छात्र बारीकी से सवाल नहीं पूछ पाते हैं और उनकी ही बातें सुन कर नामांकन करा बड़ी सफलता मान लेते हैं. बाद में उन्हें तब पछताना पड़ता है, जब तय शुल्क के अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ता है.

अतिरिक्त शुल्क लेने का बहाना यह होता है कि अगर यह कोर्स भी छात्र कर ले, तो रोजगार मिलने के वक्त उनका पैकेज (वेतन) बढ़ जायेगा. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि प्रतिनिधि शिक्षण संस्थान के खाते में ही हॉस्टल का चार्ज भी भुगतान करा देते हैं. बाद में पता चलता है कि हॉस्टल चलाने वाला प्रबंधन शिक्षण संस्थान का नहीं है. ऐसे में हॉस्टल से किसी भी प्रकार की शिकायत शिक्षण संस्थान के प्रबंधन से करने पर निदान नहीं हो पाता है. घर से काफी दूर होने की वजह से अभिभावक भी बच्चों को उसी स्थिति में रहने को कहते हैं.

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