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सार्वजनिकस्थलों पर भू माफिया की नजर

भागलपुर: मंदिर, धर्मशाला और यतीमखाना सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों की जमीन व अन्य संपत्तियों पर भू माफिया की नजर है. इस पर गिद्ध दृष्टि जमाये भू माफिया इसे हथियाने के लिए कोई भी रास्ता अख्तियार करने में कोई गुरेज नहीं करते. शनिवार को भागलपुर के प्रसिद्ध देवी बाबू धर्मशाला के पिछले हिस्से में रह रहे […]

भागलपुर: मंदिर, धर्मशाला और यतीमखाना सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों की जमीन व अन्य संपत्तियों पर भू माफिया की नजर है. इस पर गिद्ध दृष्टि जमाये भू माफिया इसे हथियाने के लिए कोई भी रास्ता अख्तियार करने में कोई गुरेज नहीं करते. शनिवार को भागलपुर के प्रसिद्ध देवी बाबू धर्मशाला के पिछले हिस्से में रह रहे ओम बाबा की मौत बहुत कुछ कहानी कह जाती है.

इन भू माफियाओं के पुलिस से लेकर राजनेताओं और जन प्रतिनिधियों से बेहतर रिश्ते हैं और उनका जम कर ख्याल रखते हैं. कई राजनीतिज्ञ अपने रसूख का इस्तेमाल इन भू माफियाओं का ख्याल रखने में करते हैं. ओम प्रकाश शर्मा उर्फ ओम बाबा की मौत अभी जांच का विषय है, लेकिन उनकी मौत को सामान्य मौत लोग नहीं मानते हैं.

जानकर बताते हैं कि धार्मिक और सामाजिक प्रवृत्ति के लोगों ने धर्मशाला, सराय, यतीमखाना, गोशाला मंदिर आदि बनवा दिये और इसकी देखभाल के लिए जमीन या अन्य संपत्तियां दी. अब जब रियल स्टेट का कारोबार तेजी से बढ़ा है और शहरी क्षेत्र में रत्ती भर जमीन की भी अहमियत बढ़ गयी है, ऐसे में अब भू माफियाओं की नजर इस पर गड़ गयी है. जिस परिवार की ओर से धर्मशाला या अन्य सार्वजनिक जगहों का निर्माण कराया गया, उनमें भी कई परिवारों के वारिसों की भी ललक अब इन संपत्तियों के प्रति बढ़ गयी है. इसी का लाभ भू माफिया उठाते हैं. उन्हें कई तरह का प्रलोभन देते हैं और कानून की खामियों का लाभ उठाते हैं. शहर की अधिकांश धर्मशालाओं का लगभग व्यवसायीकरण हो गया है. समाज हित या समाज की सुविधा के लिए बनी धर्मशाला अब कमाई का जरिया बनती जा रही है.

शहर में कई धर्मशालाओं को लेकर काफी विवाद हैं. पिछले दिनों तो कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से यतीमखाना की एक जमीन ही बेच दी. शहर और शहर के इर्द-गिर्द जहां पर भी सार्वजनिक स्थल है अब उसपर भू माफिया की नजर है. उस जगह के डीड(कागजात) में अगर थोड़ी भी गुंजाइश रहती है तो उसका भरपूर लाभ भू माफिया उठाते हैं. रियल स्टेट के कारोबार में राजनेता, जनप्रतिनिधि से लेकर सरकारी अधिकारी व कर्मचारी तक जुड़े हुए हैं. ये लोग प्राय: विवादित जमीन औने-पौने दाम में खरीदते हैं और फिर अपने रसूख के बल पर उसपर कब्जा कर भरपूर कमाई करते हैं.

जनप्रतिनिधियों का मुख्य काम होता है विवादित जमीन का सेटलमेंट कराना. विवादित जमीन की मामले में पुलिस की अहम भूमिका होती है. वर्तमान व पूर्व में शहर में पदास्थापित कई पुलिस अधिकारी की भू माफियाओं से अंतरंगता जगजाहिर है. संपत्ति पर कब्जा जमाने में वे सहयोग करते हैं. कई अधिकारी तो उस बैठकी में भी शामिल होते हैं जहां विवादित संपत्तियों के मामले को सुलझाया जाता है. कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि तथा राजनीतिक परोक्ष रूप से रियल स्टेट के कारोबार में निवेश भी कर रखा है. ओम बाबा की मौत की अगर सही जांच हो तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो सकते हैं. भूमि विवाद को लेकर पूर्व में शहर में कई हत्या हो चुकी है.

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