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अब रटंत नहीं, समझदार होंगे बबुआ

भागलपुर: जिले भर के प्रारंभिक स्कूलों में बच्चे अब पाठ को पढ़ने, याद करने की जगह उसे समझने व जानने की कला सीखेंगे. गणित की माथापच्ची, भाषा की समझ, विज्ञान के प्रयोग और सामाजिक विज्ञान के पाठ स्कूली बच्चों के लिए बोझ साबित नहीं होंगे, बल्कि बच्चों में अनुभव के साथ उनकी समझ विकसित की […]

भागलपुर: जिले भर के प्रारंभिक स्कूलों में बच्चे अब पाठ को पढ़ने, याद करने की जगह उसे समझने व जानने की कला सीखेंगे. गणित की माथापच्ची, भाषा की समझ, विज्ञान के प्रयोग और सामाजिक विज्ञान के पाठ स्कूली बच्चों के लिए बोझ साबित नहीं होंगे, बल्कि बच्चों में अनुभव के साथ उनकी समझ विकसित की जायेगी. इसके लिए पठन-पाठन के पारंपरिक तरीके से इतर कुछ नया इनोवेशन किया जायेगा.

बच्चों की पाठ्य सामग्री में, कक्षा के परिवेश में रचनात्मक बदलाव किया जायेगा. साथ ही शिक्षकों के पढ़ाने में भी रचनात्मक व व्यावहारिक तरीके पर ज्यादा जोर दिया जायेगा, ताकि बच्चे पाठ याद करने की जगह ज्यादा समझ सकें. यह सब होगा जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान में स्थापित नवाचार केंद्र(इनोवेशन सेंटर) में. राज्य शिक्षा विभाग के शोध व प्रशिक्षण के निदेशक एनपी नारायण ने राज्य के हर जिले के डायट में केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत नवाचार केंद्र शुरू करने का निर्देश जारी किया है. भारत सरकार की ओर से प्रदत्त अनुदान राशि से नवाचार केंद्र शुरू करने के लिए राज्य के सभी डायट के प्राचार्य को पत्र भेजा है. इस संबंध में राज्य शिक्षा विभाग को मानव संसाधन विकास मंत्रलय, भारत सरकार ने 14 अगस्त को ही पत्र भेज कर निर्देश जारी किया था.

पायलट प्रोजेक्ट के तहत होंगे 50 प्रधानाध्यापक प्रशिक्षित : प्रारंभिक विद्यालयों में पठन-पाठन को उत्कृष्ट बनाने की जिम्मेवारी डायट में स्थापित नवाचार केंद्रों पर होगी. ज्यादा से ज्यादा विद्यालयों में नेतृत्व क्षमता (लीडरशिप) का विकास करने के लिए डायट स्थित नवाचार केंद्रों में प्रशिक्षण दिया जायेगा. चूंकि सभी विद्यालय के शिक्षकों को प्रशिक्षित कर पाना एक साथ संभव नहीं है, इसलिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रथम चरण में 50 विद्यालयों का चयन कर वहां के प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इन 50 विद्यालयों के उत्कृष्ट होने के बाद अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणा का काम करेंगे. मालूम हो कि राज्य के सभी डायट में पूर्व से भी नवाचार के क्षेत्र में क्षेत्रीय स्तर के विद्वानों के बारे में पुस्तकों का प्रकाशन, शोध-पत्रों का प्रकाशन व संकलन, मिशन गुणवत्ता के क्रियान्वयन के लिए कार्य, नयी तकनीक व्यवहार व अध्ययन-अध्यापन विधियों का संचालन करता रहा है.

डायट के प्रमुख उद्देश्यों में बच्चों की सहभागिता व बच्चों की समझ को विकसित करना है. कक्षा पांच के बच्चों में कक्षा तीन तक की समझ नहीं होना चिंतन का विषय है. इन कमियों को दूर करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संचालन में डायट का नवाचार केंद्र पूर्ण सहभागिता निभायेगा और इसके सुखद परिणाम भी सामने आयेंगे.

डॉ राकेश कुमार, प्राचार्य, जिला शिक्षा

व प्रशिक्षण संस्थान, भागलपुर

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