भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले कई बार से प्रबंधन उधार के शिक्षकों से एमसीआइ को झांसा देता आ रहा है. जब भी एमसीआइ की टीम आती है, प्रबंधन दूसरे कॉलेज व सिविल सजर्न से कुछ दिनों के लिए चिकित्सक मांग कर कॉलेज में भर लेता है. टीम के जाते ही इन शिक्षकों को कॉलेज से विदा कर दिया जाता है. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है.
वर्ष 2013 में जेएलएनएमसीएच में एमबीबीएस की 50 सीट को बढ़ा कर सौ सीट कर दिया गया, लेकिन कॉलेज प्रबंधन सौ सीटों पर छात्र-छात्रओं का नामांकन नहीं ले सका. चूंकि कॉलेज में नामांकन को छात्र ही नहीं आये, और जिसने नामांकन लिया भी तो पीएमसीएच, दरभंगा या अन्य कॉलेजों में अपना ट्रांसफर करा लिया.
यही हाल इस बार भी है. सौ सीटों के मानक को पूरा करने के लिए दो माह पूर्व सिविल सजर्न के यहां से 15 चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति जेएलएनएमसीएच में की गयी थी. इस बीच कॉलेज प्रबंधन एमसीआइ का इंतजार करती रही, पर टीम जब नहीं आयी तो चिकित्सकों को वापस सिविल सजर्न के यहां भेज दिया गया. इस बार जब सप्ताह दिन पूर्व अचानक कॉलेज में एमसीआइ की टीम आयी तो कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गये. हालांकि टीम को पूर्व की तुलना में कॉलेज में कई सुधार भी दिखे पर सबसे अधिक कमी शिक्षकों की रही. कई विभाग अभी भी ऐसे हैं जिसमें वर्षो से प्रोफेसर नहीं हैं. वहां कार्यकारी व्यवस्था के तौर पर विभागाध्यक्ष का कार्य एसोसिएट प्रोफेसर से लिया जा रहा है.
अगस्त में जूनियर रेजिडेंट की बहाली को लेकर अस्पताल में साक्षात्कार भी लिया गया था पर एनएमसीएच के किसी चिकित्सक ने कोर्ट में केस कर दिया. नतीजतन साक्षात्कार का मुद्दा वहीं रुक गया है. चिकित्सक ने न्यायालय में केस दर्ज कर कहा है कि जब जूनियर रेजिडेंट पद सिर्फ एमबीबीएस के लिए है तो इसमें एमडी व एमएस का साक्षात्कार क्यों लिया गया है. इसी बात को लेकर फिलहाल जूनियर रेजिडेंट का रिजल्ट रुका हुआ है. कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि साक्षात्कार की कॉपी यहां से पटना भेज दी गयी है. अब वहां से खाली पड़े शिक्षकों को पदों को भरने के लिए चिकित्सक नियुक्त किये जायेंगे तो यहां यह कमी दूर हो जायेगी. जहां तक छात्रों के नामांकन की बात है तो सोमवार को पटना में काउंसेलिंग होगी और 30 को सभी 22 सीटों पर छात्रों का नामांकन हो जायेगा.