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कमीशन 40, खर्च 75, फिर भी फायदा

भागलपुर: आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, कहा जाता है कि ऐसी हालत में बहुत दिन तक गुजारा नहीं हो सकता है, लेकिन जिला के जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) के दुकानदारों का मैनेजमेंट कमाल का है. ऐसी स्थिति में भी वह अपना फायदा निकाल ही लेते हैं. दरअसल, डीलरों के लिए यह स्थिति राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के […]

भागलपुर: आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, कहा जाता है कि ऐसी हालत में बहुत दिन तक गुजारा नहीं हो सकता है, लेकिन जिला के जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) के दुकानदारों का मैनेजमेंट कमाल का है.

ऐसी स्थिति में भी वह अपना फायदा निकाल ही लेते हैं. दरअसल, डीलरों के लिए यह स्थिति राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के कारण हुई है. एसएफसी अभी तक जिला में डोर स्टेप डिलिवरी शुरू नहीं कर पाया है और पीडीएस डीलरों को गोदाम से अपने संसाधन व खर्च पर खाद्यान्न की ढुलाई करनी पड़ रही है और इसके बदले उन्हें निगम की ओर से कोई किराया नहीं दिया जाता है.

विदित हो कि एक फरवरी से राज्य में खाद्य सुरक्षा योजना लागू होने के बाद सभी पीडीएस डीलरों को उनकी दुकान तक डोर स्टेप डिलिवरी के माध्यम से खाद्यान्न पहुंचाने की व्यवस्था की गयी थी. इसके लिए सभी जिलों ठेका पर ट्रांसपोर्टरों की बहाली गयी और इसके लिए ट्रांसपोर्टरों की गाड़ी में जीपीआरएस सिस्टम आदि भी लगाये गये. राज्य के अन्य जिलों में डोर स्टेप डिलिवरी शुरू हो गयी है, लेकिन भागलपुर में फिलहाल यह शुरू नहीं हो पायी है. यहां अभी भी पीडीएस डीलरों को एसएफसी के गोदाम से उनके ही संसाधनों से खाद्यान्न का उठाव कराया जा रहा है. पीडीएस डीलरों के अनुसार एक बार खाद्यान्न उठाव करने में लोकल स्तर पर भी उन्हें कम से कम 35 से 40 रुपया प्रति क्विंटल का खर्च आ जाता है. यदि यही खाद्यान्न नाथनगर या गोराडीह आदि क्षेत्र में ले जाया जाये तो खर्च बढ़ कर प्रति क्विंटल 50 से 75 रुपये तक पहुंच जाता है.

इसमें खाद्यान्न ढोने के लिए वाहन के खर्च के साथ-साथ लोडिंग-अनलोडिंग के लिए लगने वाली मजदूरी आदि भी शामिल है. दूसरी ओर, उन्हीं पीडीएस डीलरों का कहना है कि उन्हें खाद्यान्न वितरण के लिए 40 रुपया प्रति क्विंटल की दर से एसएफसी द्वारा कमीशन दिया जाता है. ऐसे में अधिकांश पीडीएस डीलरों को प्रति क्विंटल 10 से 35 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा गोदाम से खाद्यान्न तौल कर भी नहीं दिया जाता है. इसके कारण भी उन्हें प्रति क्विंटल औसतन पांच किलो कम खाद्यान्न मिलता है. डीलरों का कहना है कि ऐसे में वह किस प्रकार ‘मैनेज’ करते हैं, यह वही जानते हैं. फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के महासचिव चंदन कुमार बताते हैं कि एसएफसी की गड़बड़ी के कारण खाद्यान्न वितरण में कुछ डीलर अनियमितता बरतने को मजबूर होते हैं, अन्यथा दुकान चलाना भी मुश्किल हो जायेगा. वह जैसे-तैसे अपने घाटे की भरपाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि सौ फीसदी डोर स्टेप डिलिवरी हो जाये और गोदाम से खाद्यान्न तौल कर दिया जाये तो यह अनियमितता समाप्त हो जायेगी. वह आरोप लगाते हैं कि सरकारी दिशा-निर्देशों का सौ फीसदी अनुपालन नहीं होने के कारण ही मजबूरी में पीडीएस डीलर अनियमितता बरतते हैं. उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप खाद्यान्न का उठाव कराने की मांग भी की है.

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