भागलपुर:बिहार के भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड व पूर्वी चंपारण जिले के पकड़ी दयाल प्रखंड में अनुसूचित जनजाति के केवल एक व्यक्ति रहते हैं. अनुसूचित जातियों में प्रखंड स्तर पर राज्य में सबसे कम भागलपुर के इस्माईलपुर प्रखंड में महज 2541 लोग रहते हैं. राज्य में प्रखंड स्तर पर सबसे कम साक्षरता वाला प्रखंड सहरसा जिले का सलखुआ है. सलखुआ में महज 41.04 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. उम्र छिपाने में बिहार के लाखों लोग पीछे नहीं हैं. 2011 की जनगणना में बिहार के 4.03 लाख लोगों ने अपनी उम्र नहीं बतायी थी. यह खुलासा शनिवार को जनगणना 2011 आंकड़े प्रसारण कार्यशाला में सेंसस के पदाधिकारियों ने किया. कार्यशाला का आयोजन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग में किया गया था.
कार्यशाला में सेंसस के संयुक्त निदेशक एके सक्सेना ने जनगणना 2011 पर संक्षिप्त जानकारी दी. उपनिदेशक मृत्युंजय कुमार ने प्राथमिक जनगणना सार आंकड़ों की विशेषताएं बतायी. सहायक निदेशक धीरेंद्र कुमार ने अनुसूचित जाति व जनजाति आंकड़ों की विशेषताओं पर प्रकाश डाला. साक्षरता के आंकड़ों की विशेषताएं सहायक निदेशक रमेश प्रसाद ने बतायी. जनगणना 2011 में संकलित कर्मियों व नि:शक्तताओं की विशेषताओं की जानकारी सहायक निदेशक पंकज कुमार सिन्हा ने दी. स्लम व आयु सारणी पर निरंजन कुमार और सेंसस इंफो 2011 सॉफ्टवेयर का प्रचालन व उपयोग पर ओंकार नाथ मिश्र ने चर्चा की. उदघाटन समारोह में कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे, प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने भी शिरकत की. इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ आरएन पांडेय, डॉ उमेश प्रसाद सिंह, डॉ रश्मि प्रकाश, डॉ सच्चिदानंद पांडेय, डॉ शरतचंद्र मंडल, डॉ सुनील कुमार, डॉ अनुभा राय, डॉ विनय कुमार सिंह, संजय कुमार सिन्हा, मलय रंजन प्रसाद, किशोरी शरण, गजेंद्र कुमार, लोकनाथ भारती, अमिताभ कुमार, रविंद्रनाथ मंडल, डॉ श्रीमंत मुखोपाध्याय, सविता, पवन कुमार मंगलम, अरविंद, आजाद, जयलाल, पूनम आदि उपस्थित थे. मंच संचालन प्रो सच्चिदानंद पांडे व धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र राज राजीव ने किया. विभागध्यक्ष डॉ रामनिवास पांडे ने कहा कि यह आयोजन लंबे समय के प्रयास के बाद सफल हुआ है. आयोजन में सौ प्रतिभागियों नेभाग लिया.
बोले संयुक्त निदेशक
सेंसस के संयुक्त निदेशक एके सक्सेना ने कहा कि जनगणना करने की शुरुआत सबसे नीचे से करते हैं. यानी पहले वार्ड, फिर गांव, टाउन, सीडी ब्लॉक, जिला, राज्य और फिर देश. उन्होंने कहा कि सेंसस का इतिहास 140 वर्ष पुराना है. भारत में पहला मॉडर्न सेंसस 1872 में किया गया था. प्रत्येक 10 साल पर पहले साल में जनगणना की जाती है. जनगणना करने से पहले सीमा का निर्धारण करना जरूरी होता है. जिनके घर नहीं होते, उनकी भी गणना की जाती है. वर्ष 2011 की जनगणना में कई नयी चीजें जोड़ी गयी, जिसमें लिंग कॉलम में अन्य, उम्र के कॉलम में जन्म तिथि आदि शामिल हैं.