भागलपुर: सदर अस्पताल में रविवार को एक शर्मनाक घटना हुई. ऑपरेशन टेबल पर दो मरीज पूजा देवी व रिंकी इंतजार करती रही और एनेस्थेटिक कहीं चले गये. दोनों मरीज गर्भवती थीं और उनकी स्थिति भी गंभीर थी. ऑपरेशन से पहले की तैयारी हो चुकी थी. मरीज के परिजनों से फॉर्म भरवाया जा चुका था. पहले दी जानेवाली दवा व सूई भी दी जा चुकी थी. मरीज के परिजन ऑपरेशन थियेटर के बाहर थे. उन्हें नये मेहमान का इंतजार था. जब देरी होने लगी, तो परिजनों ने पूछताछ की.
परिजनों ने जब पूछा कि क्या ऑपरेशन चल रहा है, तो चिकित्सकों ने कुछ जवाब नहीं दिया. इस पर परिजनों को शक हुआ और उनलोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया. इस पर चिकित्सक ने उन्हें अंदर जाने को कहा. जब परिजन अंदर गये, तो देखा कि दोनों गर्भवती महिलाएं ऑपरेशन टेबल पर तड़प रहीं हैं. यह देख परिजनों के सब्र का बांध टूट गया और वो हंगामा करने लगे. हंगामा होता देख चिकित्सक ने तत्काल ऑपरेशन की बात कही. दोनों महिलाओं में एक गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर थी. उसको खून चढ़ाने की जरूरत थी. खून भी उसके परिजनों ने ला कर दे दिया. इसी बीच ऐनेस्थेटिक को बुला लिया गया, पर उक्त महिला को कोई भी कर्मी खून चढ़ाने को तैयार नहीं हुआ. इस दौरान एक ओर मरीज के परिजन रो-बिलख रहे थे, तो दूसरी ओर संबंधित अस्पतालकर्मी व चिकित्सक आपस में गुफ्तगू कर रहे थे. दोनों मरीजों की स्थिति गंभीर होती जा रही थी. परिजन परेशान थे. उन्हें जच्च-बच्च की चिंता थी, पर उनकी मिन्नतों का कोई असर नहीं दिख रहा था. हंगामा और आरजू-मिन्नत के बाद ऑपरेशन टेबल पर लेटी महिलाओं में से रिंकी का ऑपरेशन दो घंटे बाद किया गया, जबकि पूजा देवी को दो घंटे टेबल पर लिटाये रहने और ऑपरेशन से पूर्व की दवा देने के बाद भी सिर्फ इसलिए रेफर कर दिया गया कि अस्पतालकर्मियों ने उसे खून चढ़ाने से मना कर दिया. उसके परिजन रोते-बिलखते अपने मरीज को लेकर चले गये. परिजन जैसे-तैसे पूजा को जेएलएनएमसीएच ले गये. वहां तत्काल उसे इमरजेंसी में भरती किया गया. शाम 6.20 में उसका ऑपरेशन हुआ और उसे पुत्री हुई. रात 12.30 बजे तक स्त्री एवं प्रसव विभाग के बेड नंबर आठ पर भरती पूजा देवी को रक्त चढ़ाया जा रहा था.
नहीं सुधर रही व्यवस्था
सदर अस्पताल में यह पहली घटना नहीं. इससे पहले भी इसी तरह की घटनाएं होती रही हैं. मरीजों के साथ र्दुव्यवहार की घटनाएं आम हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्रबंधन कोई कार्रवाई करने की जगह सिर्फ शो-कॉज पूछ या फिर जांच कमेटी गठित कर शांत हो जाता है. ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं, जिनमें किसी पर कार्रवाई हुई हो. इस कारण अस्पताल में ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही.
मैं बीमार हूं : एनेस्थेटिक
सदर अस्पताल के एनेस्थेटिक डॉ ज्ञान ने बताया कि उनकी तबीयत कल से ही खराब है. इस वजह से वह साढ़े बारह बजे के बाद प्रभारी को बता कर चले गये थे. दो बजे के बाद आये, तो रिंकी देवी का ऑपरेशन हुआ. उन्होंने कहा कि पूजा देवी को खून चढ़ाने के लिए अस्पताल में कोई ड्रेसर नहीं था, इसलिए सजर्न ने उसे रेफर किया.
कौन थीं पीड़ित
जान बची, लक्ष्मी आयी
सदर अस्पताल परिसर में रहनेवाले दुकानदार आशीष कुमार की पत्नी रिंकी देवी को प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार को सदर अस्पताल लाया गया. चिकित्सक ने उसे रविवार को भरती कराने को कहा. रविवार की सुबह साढ़े नौ बजे रिंकी देवी को अस्पताल में भरती कराया गया. ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने ऑपरेशन करने की बात कही. इस पर परिजनों ने करीब 1500 रुपये की दवा बाहर से खरीद कर चिकित्सक को दी. मरीज को ऑपरेशन थियेटर में टेबल पर लिटाया गया. इस बीच सजनी देवी नाम के मरीज का ऑपरेशन किया गया. साढ़े बारह बजे जब सजनी देवी का ऑपरेशन पूरा हो गया, तो ड्यूटी पर मौजूद एनेस्थेटिक ऑपरेशन थियेटर से बाहर चले गये. रिंकी दर्द से तड़पती रही और परिजन बाहर महिला चिकित्सक को भला-बुरा कहते रहे. परिजनों का कहना था कि अगर ऑपरेशन नहीं करना था तो पहले बताते. वो नहीं रुकते. वो चिकित्सक से पूछ रहे थे जच्च-बच्च को कुछ हुआ तो जवाबदेही कौन लेगा. दो बजे के बाद दूसरी पाली में एनेस्थेटिक के आने के बाद रिंकी का ऑपरेशन हुआ और उसने एक पुत्री को जन्म दिया. इस दौरान वह ऑपरेशन टेबल पर ही पड़ी रही.
किसी को दया नहीं आयी
रविवार को ही गर्भवती पूजा देवी को भी ऑपरेशन टेबल पर लिटाया गया. उसके शरीर में 8.6 ग्राम खून था. एनेस्थेटिक ने कहा कि उसे खून चढ़ाना पड़ेगा, तभी ऑपरेशन हो सकता है. परिजनों ने उसके लिए एक यूनिट खून की व्यवस्था कर चिकित्सक को दिया. ऑपरेशन से पहले की सारी तैयारी कर ली गयी. दवा भी दे दी गयी. यह सब होने के दौरान ही एनेस्थेटिक ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकल गये. पूजा ऑपरेशन थियेटर में तड़पती रही, परिजन बाहर कलपते रहे, पर कुछ नहीं हुआ. दूसरी पाली में दो बजे जब एनेस्थेटिक आये तो परिजनों को उम्मीद जगी कि अब ऑपरेशन होगा, पर पता चला कि खून चढ़ाने वाले ड्रेसर में एक सुमन कुमार का हाथ टूटा था, दूसरा कन्हैया घर चला गया था और तीसरा दिवाकर मौजूद था, लेकिन उसने कहा कि चार बजे के बाद वह चला जायेगा इसलिए रक्त नहीं चढ़ाया जा सकता है. यह सुन परिजन रोने लगे, पर चिकित्सक ने पूजा को जेएलएनएमसीएच रेफर कर दिया. पीड़िता का पति प्रशांत कुमार बैंक ऑफ बड़ौदा में जेनेरेटर चलाने का काम करता है.
जा सकती थी जान : डॉ रोमा
किसी गर्भवती महिला को ऑपरेशन से संबंधित दवा देने और अन्य तैयारी के बाद ऑपरेशन नहीं करने पर काफी दिक्कत हो सकती है. इस संबंध में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रोमा यादव ने कहा कि ऑपरेशन के पूर्व एट्रोपिन व पेरिनॉर्म इंजेक्शन दिया जाता है कि मरीज को ऑपरेशन के वक्त उल्टी व मुंह से झाग आने की शिकायत न हो. उन्होंने कहा कि अगर किसी गर्भवती का ऑपरेशन होना है और वह इमरजेंसी सेवा में है, तो उसका तत्काल उपचार होना चाहिए. दो घंटे तक टेबल पर रखने के बाद उसका ऑपरेशन नहीं हो, तो मां के साथ उसके बच्चे पर भी असर पड़ने की आशंका रहती है.
शो-कॉज पूछेंगे : प्रभारी
इस संबंध में सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ संजय कुमार ने कहा कि वह एनेस्थेटिक से सोमवार को शो-कॉज पूछेंगे. उन्होंने कहा कि यहां की नर्स उतनी दक्ष नहीं हैं कि मरीज को खून चढ़ा सकें. यहां ड्रेसर ही खून चढ़ाते हैं.उन्हें जानकारी नहीं थी कि एक ड्रेसर का हाथ टूटा है. बाहर से दवा खरीद मामले में उन्होंने कहा कि अभी उनके पास फंड नहीं है. रोगी कल्याण समिति में भी पैसा नहीं है. उन्होंने कहा कि सिविल सजर्न से उन्होंने एक और एनेस्थेटिक की मांग की. पहले दो एनेस्थेटिक थे, तो इतनी परेशानी नहीं होती थी.
क्यों हो रहा ऐसा
चिकित्सकों व कर्मचारियों के बीच सामंजस्य का अभाव
अस्पताल में चिकित्सक व स्टाफ की कमी
एक एनेस्थेटिक के सहारे 24 घंटे की सेवा
कठोर कार्रवाई की कमी