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700 करोड़ रुपये हो गये खर्च, नहीं रुका कटाव

कई जगहों पर कटाव निरोधी कार्य रहा विफल नवगछिया : नवगछिया अनुमंडल में कटाव निरोधी कार्य के नाम पर खर्च की गयी राशि का आंकड़ा सात अरब को पार करने को है. 2006 से अबतक जल संसाधन विभाग ने छह अरब 36 करोड़ 23 लाख 44 हजार 91 रुपये से स्थायी कटाव निरोधी कार्य कराया […]

कई जगहों पर कटाव निरोधी कार्य रहा विफल

नवगछिया : नवगछिया अनुमंडल में कटाव निरोधी कार्य के नाम पर खर्च की गयी राशि का आंकड़ा सात अरब को पार करने को है. 2006 से अबतक जल संसाधन विभाग ने छह अरब 36 करोड़ 23 लाख 44 हजार 91 रुपये से स्थायी कटाव निरोधी कार्य कराया है. इसके अलावा तात्कालिक कटाव निरोधी कार्य (फ्लड फाइटिंग) के नाम पर 49 करोड़ 75 लाख 53 हजार 664 रुपये खर्च किये हैं.
यानी कटाव रोकने के नाम पर कुल छह अरब 85 करोड़ 98 लाख 97 हजार 765 रुपये खर्च हो चुके हैं. हैरत की बात है कि इतने रुपये खर्च करने के बाद भी नवगछिया अनुमंडल को बाढ़ और कटाव से मुक्ति नहीं मिल पायी. उल्टे कटाव अपना दायरा लगातार बढ़ा रहा है तो दूसरी तरफ बेघर लोगों की संख्या में साल दर साल इजाफा होता जा रहा है.
अगर दूसरे विभागों की योजनाओं के आंकड़े से कटाव के नाम पर खर्च की गयी राशि का मिलान किया जाये तो किसी भी विभाग में पिछले 15 वर्षों में इतने रुपये का काम नहीं हुआ है. शुरू से ही कटाव निरोधी कार्य सफेदपोशों और ठेका कंपनियों के लिये मुफीद रहा. समय-समय पर कार्य करने वाली एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड किया गया. कुछ कार्यपालक अभियंताओं और मुख्य अभियंता पर कार्रवाई हुई लेकिन नदी में बिना किसी दूरदर्शिता के पैसे फेंकने का काम बदस्तूर जारी रहा.
2006 से शुरू हुआ कटाव निरोधी कार्य
1980 के दशक में नारायणपुर, मदरौनी व अन्य जगहों पर कटाव निरोधी कार्य कराया गया था. लेकिन वर्ष 1990 के दशक में गंगा कोसी के कटाव के नाम पर नहीं के बराबर काम हुआ. 2006 में कटाव निरोधी कार्य पुन: शुरू की गयी. 2005-2006 के वित्तीय वर्ष में तकरीबन 13 करोड़ की लागत से स्थायी कटाव निरोधी कार्य गंगा के तटीय क्षेत्र काजीकोरैया से राघोपुर तक कराया गया. इसके बाद कटाव निरोधी कार्य में निरंतरता आयी और हर वर्ष करोड़ों रुपये की योजना स्वीकृत की जाने लगी.

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