भागलपुर : भागलपुर शहर पर दो-तीन दिनों से चढ़ी कोहरे की चादर कोई सामान्य कोहरा नहीं है, बल्कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर का अलार्म है. बावजूद इसके इसे बढ़ानेवाली वजहों पर शहर में न तो आम लोग सतर्क हो रहे हैं और न ही प्रशासनिक स्तर पर ही इसके कारणों को समाप्त किया जा रहा है.
नगर निगम प्रशासन अभी तक वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा डंपिंग व रिसाइकलिंग की व्यवस्था नहीं कर पाया है, जबकि हर दिन नगर निगम क्षेत्र से 300 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है. भागलपुर के 36 पशु चिकित्सालय से निकलनेवाले बायो मेडिकल कचरे के सही तरीके से निबटारे की अभी तक व्यवस्था नहीं हो सकी है. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल परिसर में कभी भी बाहर में बायो मेडिकल कचरा बिखरा हुआ देखा जा सकता है. वहीं शहर में भी कई स्थानों में कई दिनों तक कूड़ा पड़ा रह जाता है, तभी उसे उठाया जाता है.
स्थानीय रूप से प्रदूषण स्तर का नहीं हो पाता आकलन : स्मार्ट सिटी के लिए चयनित भागलपुर में अभी तक प्रदूषण का स्तर का आकलन नहीं हो पाता है. दीपावली जैसे पर्व पर भी कोई ऐसा मापन यंत्र नहीं है, जो प्रदूषण का स्तर बता सके.