भागलपुर : बिहार के भागलपुर में सुलतानगंज थाना अंतर्गत असियाचक पंचायत के नोनसर गांव में बुधवार को अपराह्न करीब तीन बजे कर्ज में डूबे किसान विनय कुमार सिंह ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. इस घटना से उसके परिवार में कोहराम मच गया. घटना के वक्त वह घर पर अकेला ही था. उसकी पत्नी और बच्चे बाजार गये थे. परिवार वालों के अनुसार विनय बैंक के कर्ज से डूबा था. उसने बैंक से केसीसी लोन लिया था. कई बार बैंक से लोन के पैसे चुकाने के लिए उसे नोटिस भेजा गया था. इससे वह तनाव में रह रहा था.
कुछ दिन पूर्व बैंक के अधिकारी पुलिस के साथ उसके घर पर पहुंचे थे और लोन चुकाने के लिए दबाव डाला था. बैंक अधिकारी ने उसे चेतावनी दी थी कि पैसे नहीं चुकाने पर संपत्ति जब्त कर ली जायेगी. विनय ने बैंक ऑफ इंडिया से 50 हजार, कोऑपरेटिव बैंक से 10 हजार व यूको बैंक से 80 हजार रुपये लोन लिये थे. पैसे नहीं चुका पाने के कारण बार-बार उसे बैंक से नोटिस मिलने लगा था. इस घटना से आसपास के लोग हतप्रभ हैं. घटना की सूचना मिलने पर थाना से पुलिस उसे घर पहुंची और शव को थाना ले गयी.
पत्नी व बच्चे को भेज दिया बाजार, घर में खुद को मारी गोली
विनय ने पत्नी व बच्चे को बाजार भेज दिया था. इसके बाद उसने अपने सिर में पिस्तौल से गोली मार ली. उसकी मौके पर ही मौत हो गयी. उसकी पत्नी उषा देवी ने बताया कि यूको बैंक की सुलतानगंज शाखा से उसके पति ने 80 हजार व बैंक ऑफ इंडिया से 50 हजार रुपये केसीसी लोन खेती करने के लिये लिये थे. काफी समय से लोन चुकता नहीं कर पा रहे थे. एक माह पूर्व कर्ज लेकर यूको बैंक का लोन चुकाया था. शेष राशि की वसूली के लिए दबाव पड़ रहा था.
बैंक ऑफ इंडिया से कई बार नोटिस भेजा गया था. निर्धारित समय पर पैसा जमा नहीं करने पर पुलिस घर पर आयी थी और कहा था कि जल्द पैसे जमा नहीं करने पर संपत्ति जब्त कर ली जायेगी. उषा देवी ने कहा कि उसके पति लोन चुकाने के लिए जमीन बेचने का भी प्रयास कर रहे थे. मृतक को एक पुत्र व एक पुत्री हैं. सभी का रो-रो कर बुरा हाल है.
क्या कहते है अधिकारी
घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है और न ही स्थानीय ब्रांच से कोई सूचना आयी है. फिर भी संबंधित डिपार्टमेंट से बात करेंगे और जानकारी लेंगे. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. (राजीव सिन्हा, जोनल मैनेजर, बैंक ऑफ इंडिया)
लोन रिकवरी की प्रक्रिया होती है. गाइडलाइन के हिसाब से लोन की रिकवरी की जा रही है. रोज-रोज तो उनके घर पर नहीं गये होंगे. पुलिस भी सरकार ही देती है. हमलोग रिक्वेस्ट करते हैं न कि दबाव बनाते हैं. (सुभाष चंद्र महापात्रा, एजीएम, यूको बैंक)