- बनते रहे हैं दर्जनों दफ्तरों के भवन, पर जिले में एक भी ब्रेस्ट फीडिंग रूम नहीं
- सार्वजनिक स्थलों पर रोता है बच्चा, तो मां को होती है शर्मिंदगी, पर बच्चे का मोह करता है परेशान
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मनाया जा रहा है स्तनपान दिवस पर अब भी महिलाएं ढूंढ़ रही कोना
बनते रहे हैं दर्जनों दफ्तरों के भवन, पर जिले में एक भी ब्रेस्ट फीडिंग रूम नहीं सार्वजनिक स्थलों पर रोता है बच्चा, तो मां को होती है शर्मिंदगी, पर बच्चे का मोह करता है परेशान भागलपुर : बच्चों के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है. मां के दूध का विकल्प नहीं होता. […]
भागलपुर : बच्चों के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है. मां के दूध का विकल्प नहीं होता. ऐसे ढेर सारे बयान गुरुवार को विभिन्न जगहों पर आयोजित विश्व स्तनपान दिवस पर वक्ताओं ने दिये. लेकिन इस बात पर चिंता तक नहीं की गयी कि जिले में वैसी एक भी जगह नहीं, जो माताओं द्वारा दूध पिलाने के लिए बनी हो.
गुरुवार को एक तरफ विश्व स्तनपान दिवस मनाया जा रहा था, दूसरी ओर सार्वजनिक स्थलों पर कई माताएं अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए दीवार या पेड़ की आड़ तलाश कर रही थीं. यह हाल कमोबेस हर जगह है, पर कोई पहल नहीं हो रही.
सरकारी व निजी दफ्तरों में स्तनपान कक्ष नहीं
आज भी भागलपुर के सरकारी व निजी कार्यालयों में स्तनपान कक्ष नहीं है. समाहरणालय जैसा जिले के सबसे बड़ा कार्यालय परिसर के अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सदर अस्पताल और जेएलएनएमसीएच जैसे सार्वजनिक स्थल भी इससे वंचित है, जबकि यहां हर दिन महिलाओं का आवागमन होता है.
बच्चे के भूख से परेशान होने पर मां को तुरंत दूध पिलाना जरूरी होता है. सरकार को महिलाओं की सुरक्षा देखते हुए हर सरकारी जगह पर एक स्तनपान कैबिन बनाना चाहिए, जिससे महिलाएं अपने बच्चे को भूख से बचा सके और अपनी सुरक्षा भी रख सके.
जिया गोस्वामी, अध्यक्ष, जज्बा संकल्प
भागलपुर के किसी भी सरकारी कार्यालयों में छोटे बच्चों के फीडिंग के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण एक ओर जहां मां के लिए शर्मिंदगी का कारण है. वहीं बच्चों के लिये भी परेशानी का कारण होती है.
वंदना झा
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