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सुरक्षा के नाम पर रेल पुलिस की खानापूर्ति

भागलपुर: ट्रेनों में लूटपाट की घटना के बाद एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि रेल यात्र के दौरान अपराधियों से यात्री कितने सुरक्षित हैं. फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था देख कर तो यही लगता है कि भागलपुर किऊल और भागलपुर पीरपैंती रेलखंड के बीच रेलवे यात्री भगवान भरोसे हैं. इस रूट में सफर […]

भागलपुर: ट्रेनों में लूटपाट की घटना के बाद एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि रेल यात्र के दौरान अपराधियों से यात्री कितने सुरक्षित हैं. फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था देख कर तो यही लगता है कि भागलपुर किऊल और भागलपुर पीरपैंती रेलखंड के बीच रेलवे यात्री भगवान भरोसे हैं.

इस रूट में सफर कर रहे यात्री रेल पुलिस से ज्यादा भगवान पर भरोसा रखते हैं. इस रूट में मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से लचर है. 24 और 18 कोच वाले एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्र कर रहे हजारों यात्रियों की सुरक्षा में 1-5 व 2-8 रेल जवान लगाये गये हैं.

ट्रेनों में रात में गश्ती नहीं होती है. जबकि रात में कम से कम एसी व स्लीपर बोगी में गश्ती जरूर होनी चाहिए . अब रेल पुलिस का कहना है कि हमारे पास कम जवान हैं. भागलपुर से रवाना होनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों में विक्रमशिला, वनांचल, मालदा इंटरसिटी व फरक्का एक्सप्रेस में आरपीएफ के मात्र 1-5 के जवान चलते हैं. वहीं जीआरपी द्वारा गया हावड़ा, सुपर एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों में 2-8 के अधिकारी व जवानों को सुरक्षा की जिम्मेवारी दी गयी है. आरपीएफ व जीआरपी के पदाधिकारी कहते हैं इतने कम जवान कैसे यात्रियों की सुरक्षा कर सकते हैं. अब सवाल है कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेवार है. उस पर स्थिति यह है कि भागलपुर किऊल रेलखंड के कई स्टेशन नक्सल प्रभावित हैं.

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